अब तो मैं चांद और सूरज में रार करवाउंगा
अब तो मैं चांद और सूरज में रार करवाउंगा
ये सितारे भी आपस में लड़ मरे एसी तरकीबे लगाउंगा
खत्म हो गया रस इंसान को अब लड़ाने में
धर्म मजहब के सबजबाग दिखाने में
अब गलत हो या सही एक नया युद्ध छेत्र बनाउंगा
अब तो मैं चांद और सूरज में रार करवाउंगा
धरा पर तो सब जगह फैला लिया मैने ये जहर
अब इसे आसमान तक ले जाउंगा
कोई बात नहीं कुछ खोज न सका इंसान के भले के लिए
अब सितारों को भी बरबादी की डगर पे ले जाउंगा
बड़े दिन बीते नया अविष्कार हुए कोई
अब में सितारों का भी मजहब बताउंगा
अब तलक चलती थी सितारों से जिंदगी अपनी
अब इन सितारों को भी अपनी उंगली पर नचाउंगा
अब तो मैं चांद और सूरज में रार करवाउंगा
लेखक
प्रदीप कुमार दिवाकर
“LAMHE”
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