अभ्युदय सेवा संस्थान
कवि सम्मेलनों के वर्तमान स्वरूप की परिकल्पना करने वाले आचार्य गयाप्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ जी की जन्मभूमि उन्नाव में अनेकों विराट कवि सम्मेलनों का आयोजन होता रहा है। उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अभ्युदय सेवा संस्थान भी प्रति वर्ष काव्य आयोजन करता है। अभ्युदय साहित्यिक मंच के माध्यम से संस्था ने अपने आंगन की तुलसी को सदैव प्राथमिकता दी और नवांकुर को मंच देकर न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ाया बल्कि दर्जनों को देश के कई प्रदेशों में पहचान बनाने में सहायक की भूमिका निभाई। प्रतिभा तो प्रत्येक व्यक्ति की अपनी होती है किंतु यदि उसे परिचय का अवसर ठीक ढंग से न मिले तो वह दफन भी हो जाती है। अभ्युदय सेवा संस्थान की उन्नाव के साहित्य जगत में एक उपलब्धि तो कम से कम आई है जिसने वैश्विक पटल पर उन्नाव के युवा गीतकार स्वयं श्रीवास्तव के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मेरी जानकारी में स्वयं श्रीवास्तव उन्नाव जनपद के पहले कवि है जो भारत की सीमा के पार काव्य पाठ करने गए।
अभ्युदय द्वारा निरंतर नवांकुरों को मंच देकर आगे बढ़ाने का क्रम जारी है। अभ्युदय द्वारा अब तक पांच अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और सात विराट काव्य गोष्ठियों में एक सैकड़ा से अधिक साहित्य साधकों को अपनी प्रस्तुति देने का अवसर दिया गया। वरिष्ठ साहित्यकारों की सघन छांव में नवांकुरों ने कुछ नहीं तो मन जीते और मंच पर रंग ढंग तो सीखा ही। अभ्युदय सेवा संस्थान का प्रयास है कि जनपद की एक वरिष्ठ साहित्यिक विभूति के साथ नवांकुरों को भी वार्षिक कवि सम्मेलन में अवसर प्रदान किया जाए जहां हम एक ओर अपनी साहित्यिक धरोहर को सहेजने में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर नवांकुरों को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने हेतु संकल्पित हैं। युवाओं को मंच लगातार मिलते देख जनपद की युवा पीढ़ी की साहित्यिक अभिरूचि भी बढ़ी है। इसके साथ ही अभ्युदय सेवा संस्थान द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाली विभूतियों को सम्मानित करने का क्रम जारी है। साहित्य भारती के संस्थापक श्रद्धेय अतुल मिश्र जी के न रहने के बाद जनपद के श्रेष्ठ साहित्यिक अनुष्ठानों का ग्राफ गिरता प्रतीत हो रहा है। साहित्य भारती के साथ साहित्य को आगे बढ़ाने का दायित्व छोटे भाई शरद मिश्र, चन्द्र प्रकाश शुक्ला छुन्ना, रामबोध शुक्ल मनीष सिंह सेंगर व राधे मिश्र के कंधों पर होगा। साहित्य सृजन में जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार आर. पी. वर्मा ‘सरस’ जी द्वारा ‘आचमन’ संस्था के माध्यम से सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें सारथी के रूप में बड़े भाई उमा निवास बाजपेई जी व उनके तमाम सहयोगी बेहतर करने को तत्पर हैं।
उन्नाव के नवांकुरों व वरिष्ठ रचनाकारों के मिले-जुले प्रयासों से अभ्युदय अपनी वार्षिक पत्रिका अभ्युदय के 2 अंक सफलतापूर्वक निकाल चुका है। अब वार्षिक पत्रिका के तीसरे अंक का विमोचन षष्ठम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ‘जयघोष’ में होगा जिसकी प्रतीक्षा जनपद के लोगों को निश्चित ही होगी। यह आयोजन कराना इतना आसान भी नहीं। इसके लिए परोक्ष-अपरोक्ष रूप से बहुत कुछ खामोश होकर सहना पड़ता है। इसके बावजूद हम अपनी संस्था के सम्मानित पदाधिकारियों संरक्षक, सदस्यों सहित प्रत्येक सहयोगी के दिल से शुक्रगुजार हैं। जिनकी बदौलत यह कार्यक्रम इतना विराट रूप ले पाता है। सहयोगियों, विज्ञापन दाताओं व सम्मानित पत्रकार बंधुओं के साथ-साथ इस पत्रिका के मुद्रण ‘में लगे समस्त सहयोगियों का दिल से धन्यवाद ।
डॉ प्रभात सिन्हा (अध्याक्ष)
अभ्युदय
तृतीय अंक, सितम्बर, 2022