मैग्जीन या अखबार देख लो
कोई भी मैग्जीन हो या के अखबार देख लो,
भले ही सोम या मंगल या के इतवार देख लो ।
कि जिसमें नववधू के जलने की खबर न छपी हो,
कोई तारीख या के माह या फिर वार देख लो ।।
दहेज लोभियों के लालच का शिकार बनी ना,
नहीं जख्मी दिखे वरमाला का जो हार देख लो ।
कन्या पक्ष को छोटा दिखाने में लगे रहते,
वर के भाई, बन्धु और रिश्तेदार देख लो ।।
ग्रहण सा लग गया इस देश की नवयौवनाओं पर,
कहें नापाक बहुओं को करें बस ख्वार देख लो ।
है मेरा मशविरा मेरे वतन की यौवनाओं को,
लगे उन्नीस गर ससुराल के विचार देख लो ।।
अगर कोशिश करे कोई तुम्हें जिन्दा जलाने की,
तुम्हें भी करना होगा जनोदम से वार देख लो ।
करो वादा नहीं पहुँचोगी तुम श्मशान अकेले,
लिपट जाओ उन्हीं से बन गले का हार देख लो ।।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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