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पर्यावरण संताप | 2YODOINDIA POETRY | लेखिका श्रीमती प्रभा पांडेय जी | पुरनम | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY JI

|| अम्रत से बढ़कर है जल ||

अम्रत से बढ़कर है जल

अम्रत से बढ़कर है,हम सब कहते जिसको जल है,
इसके बिना पशु-प्राणी का कट न पाता पल है ।

जल हम सबका सुधा सरोवर, प्राणी मीन के जैसे,
जल बिन इस पृथ्वी पर भी,जीवन संभव हो कैसे,
चीटी से हाथी तक जल बिन पल में होते विकल है,
अम्रत से बढ़कर है हम सब कहते जिसको जल है ।

जल से हैं फलफूल और पौधे जल से ही हरयाली,
जनजीवन में केवल जल से ही तो है खुशहाली,
खाने पीने और नहाने का भी जल ही हल है,
अम्रत से बढ़कर है, हम सब कहते जिसको जल है ।

जल से झील,नदियाँ, झरने,नहरें और सागर हैं,
कल-कल,छल-छल,लहर-लहर में खुशियों की गागर है,
जल से इंद्रधनुष सतरंगा, जल से ही बादल है,
अम्रत से बढ़कर है, हम सब कहते जिसको जल है ।

जल से कुएँ, तालाब जलाशय खेत-खेत में रहट हैं,
घर में जल ना चुकने देवें सभी बुजुर्ग कहत हैं,
हर काया में आधे से बढ़कर ही जल केवल है,
अम्रत से बढ़कर है, हम सब कहते जिसको जल है ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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