More
    19.1 C
    Delhi
    Friday, November 15, 2024
    More

      || अमूल्य धरोवर ||

      अमूल्य धरोवर

      प्रकृति ने दिया है जल अमूल्य धरोहर,
      नदी,झरने, कुएँ, तालाब और सरोवर ।

      संभाल हम न सके तो है भूल हमारी,
      प्रकृति ध्यान रख रही हमारा बराबर ।

      बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ लगाये गिद्ध दृष्टि,
      राष्ट्र तक अब मर रहे हैं जल को लडलड़कर ।

      हो गये हैं वर्ष बासठ मिले आजादी,
      कुव्यवस्था के घिरे अब भी हैं बवंडर ।

      प्रशासन के लिये है कामधेनु सा उपहार,
      हर वर्ष बाढ़ सूखे का बजट है बराबर ।

      जल देवता तो है मगर हम नहीं पुजारी,
      तभी तो सहना पड़ेगा प्रकृति का कहर ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE

      ALSO READ  || चांदनी की बारात ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here


      Stay Connected

      18,911FansLike
      80FollowersFollow
      816SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles