|| अंबर से टपटप बरस रहा ||
अंबर से टपटप बरस रहा
अंबर से टप-टप बरस रहा मोती जैसा निर्मल है,
ना इसमें भेदभाव और न इसमें कोई छल है ।
है सबकी प्यास बुझाता और ठंडक देता है सबको,
हर जन को जीवन देने वाला अमृत रूपी ये जल है ।
बिजली इससे पैदा होकर घर-घर में करे रोशनी,
कल कारखाने,रेलगाड़ी बिजली से पाते बल है ।
कभी-कभी ये भैरव रूपी काल रूप में आता,
बाढ़ सुनामी लाने में भी ये जल बहुत सबल है ।
जल का मूल्य सभी पहचानें, बूँद-बूँद की कीमत,
जल ही वर्तमान की कीमत और कीमती कल है ।
जल ना हो जीवन का पल भी कटना है मुश्किल,
समझ धरोवर इसे संरक्षण एक मात्र बस हल है ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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