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      || अंधविश्वास ||

      अंधविश्वास

      अंधविश्वास ये दिल मे,
      पनपता गर दिखाई दे।
      समझलो सत्यवाणी फिर,
      नही उसको सुनाई दे।।

      बहककर वो भटकता है,
      सदा गुमनाम राहों मे शान्ति,
      सुख, चैन छिन जाता,
      बुरा पथ ही सुझाई दे।।

      अंधविश्वास पे विश्वास करना, न समझदारी।
      अकल की हीनता ही तो,
      है ये एक बीमारी।।

      सभी को साथ अपने वो दुखो की देता सौगातें,
      रखो विश्वास ईश्वर पे,
      छोड जीवन की लाचारी ।।

      लेखक
      राकेश तिवारी
      “राही”

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