बदरिया थम थम बरस
मेरी बेटी चली है ससुराल बदरिया थम थम बरस,
भये नैना ज्यों तलैया-ताल, बदरिया थम थम बरस ।
बस में था जो सब दिया है कपड़ा व गहना दिया है,
घर का सब सामान,फर्नीचर भी तो बढ़िया दिया है ।
भीग जाये न बिटिया का माल,बदरिया थम थम बरस,
मेरी बेटी चली है ससुराल बदरिया थम थम बरस ।
एक से बढ़ चढ़ सब आये हैं बाराती सूट पहने,
शेरवानी में दूल्हे राजा सजे उनके क्या कहने ।
मेरे रंग ना भंग अब तू डाल बदरिया थम थम बरस,
मेरी बेटी चली है ससुराल बदरिया थम थम बरस ।
आतिशबाजी ढोल ढमाके कैसे चमके और बजेंगे,
घुट न जाये धुन शहनाई डोली वंदन कैसे सजेंगे ।
गरड़ गड़ और भरड़ भड़ संभाल, बदरिया थम थम बरस,
मेरी बेटी चली है ससुराल बदरिया थम थम बरस ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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