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पर्यावरण संताप | 2YODOINDIA POETRY | लेखिका श्रीमती प्रभा पांडेय जी | पुरनम | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY JI

|| बड़े शहरों में ||

बड़े शहरों में

बड़े शहरों में प्रदूषण की बहुत चलती है,
ठंड में मात्र एक घण्टा ही धूप निकलती है ।

गांव में रोब न चल पाता है प्रदूषण का,
तभी तो आठ घण्टे बाद ही धूप ढलती है ।

ग्रीष्म ऋतुएं भी गांव की कम गर्म होती हैं,
नहीं शहरों जैसी लू भी वहां चलती है ।

बूढ़े बरगद तले झट गुजर जाता है दिन,
गांव की धरती कहां शहर सी उबलती है ।

दोष इसमें मात्र है शहर के प्रदूषण का,
तभी तो धूप छाँव रंग अपना बदलती है ।

किसी काम से गांव वाले आ गये शहर में,
लाख चाहने पर तबीयत नहीं बहलती है ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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