बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियाँ,
हर कोई बिचकाता है मुँह बार बार बेटियाँ ।
बेटा न हुआ तो इसमें क्या मेरा कसूर था,
पूर्वजों को पानी कौन देगा भय जरूर था,
भ्रूण हत्या की गई दो, चार बार बेटियाँ,
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियाँ ।
अब तो डॉक्टर ने भी कह दिया है नसबंदी करा,
खुद पे अत्याचार न कर देख अब तो बाज आ,
मर गई तो कौन रखेगा कतार बेटियाँ,
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियाँ ।
घर की बड़ी बूड़ियां तो अब भी मानती नहीं,
मुझपे गुजरती है क्या ये कोई जानती नहीं,
हो रहा तोनों से जिया तार-तार बेटियाँ,
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियाँ ।
मायके गई भतीजे के विवाह के लिये,
मान गई पति को मैं इस सलाह के लिये,
चुपचाप नसबंदी करा, जीवन संवार बेटियाँ,
बेटे की लालच में हो गई हैं चार बेटियाँ ।
पढ़ा लिखाकर बेटियों की जिंदगी संवार दी,
बिन दहेज ब्याह दीं, ना कैश और न कार दी,
हर बुरे समय मे हाजिर रहती चार बेटियाँ,
बेटे क्या करते जो करती हैं चार बेटीयाँ ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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Nice
thank you sir