देरी से सोकर उठना
देरी से सोकर उठना तो बहुओं की नादानी है,
बाद में झूठी बातें गढ़ना फर्ज से आनाकानी है ।
चाहे पति दफ्तर में साहब हो,चाहे व्यापारी भी,
ना दफ्तर चल पाये, ना धंधे में मिले उधारी भी ।
धंधा हो या दफ्तर पति को होती तो बस हानी,
देरी से सोकर उठना तो बहुओं की नादानी है ।
नाश्ता करते बज जाते ग्यारह बारह ये होता है,
लाख चाहने पर भी तो भाग्योदय उनका सोता है ।
नहीं समय पर पूरा होता घर का खाना पानी है,
देरी से सोकर उठना तो बहुओं की नादानी है ।
सात बजे प्रातः बज जाती हर स्कूल की घण्टी है,
देर से पहुँचे बच्चा तो पड़ती मास्टर की डण्डी है ।
आदत पर दुख होता तब भरता आँखों में पानी है,
देरी से सोकर उठना तो बहुओं की नादानी है।
सुना सभी ने होगा ये जो सोता है वो खोता है,
जल्दी उठने वालों को भाग्योदय देता न्यौता है ।
जल्दी उठने की कोशिश हल करती सब परेशानी है,
देरी से सोकर उठना तो बहुओं की नादानी है।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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