More
    28.3 C
    Delhi
    Monday, October 7, 2024
    More

      || धरती माता | DHARTI MATA ||

      धरती माता

      ये धरती अपनी माता है हम सबकी भाग्य विधाता है,
      कण-कण में माँ की ममता है, तृण-तृण से माँ का नाता है ।

      गेहूँ मिलता,चाँवल मिलता और मिलता हर अन्न हमें,
      दालें,सब्जी,फल,फूल सभी देकर करती सम्पन्न हमें ।
      जो जितना माँ से प्यार करे वो और धनी हो जाता है,
      ये धरती अपनी माता है हम सबकी भाग्य विधाता है

      लोहा ,जस्ता,सोना,चाँदी हर धातु गर्भ समाये हैं,
      हीरे,नीलम,मूँगे, मणिक धरती से जग ने पाये हैं ।
      अनगिनत धातुएँ और मणिक धरती से मानव पाता है,
      ये धरती अपनी माता है हम सबकी भाग्य विधाता है ।

      छोटे,बड़े,धनी,दरिद्र में करती कभी न अंतर है,
      माँ दया प्रेम हर मानव पर छलकाती सदा निरंतर है ।
      इसके आँचल की छाया में हर दुखी स्नेह पा जाता है,
      ये धरती अपनी माता है हम सबकी भाग्य विधाता है ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      FOR MORE POETRY BY PRABHA JI VISIT माँ में तेरी सोनचिरैया

      ALSO READ  || जल रहा है सूरज ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,841FansLike
      80FollowersFollow
      733SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles