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2YODOINDIA STORIES BY RAHUL RAM DWIVEDI

|| दिन ये भी आएंगे ||

दिन ये भी आएंगे

कल तक पैसे का भोकाल था भैया,
आज हवा में पैसे है।

क्या सोचा था,
दिन ये भी आएंगे।

होंगी छुट्टियां,
पर साथ मना ना पाएंगे।

होगा आम का मौसम,
पर साथ खा ना पाएंगे।

सारे रास्ते खुले होंगे,
पर घूमने साथ ना जा पाएंगे।

अपने भाई जो दूर है,
पर साथ रह ना पाएंगे।

अपने भाई जो पास है,
पर साथ बैठ ना पाएंगे।

अपना परिवार जो लौटने की राह ताकता था,
पर वो साथ मे कैदी बन जाएंगे।

अपनो को वक़्त न दे पाते थे,
पर क्या पता था उनसे ऊब जाएंगे।

तारीख वार क्या है सब,
पर क्या पता था ये भी भूल जाएंगे।

क्या होते है कैलेंडर,
बस ऐसे ही दिन रात गुजर जाएंगे।

साफ हो जाएगा वातावरण,
बस चैन की सांस ना ले पाएंगे।

ना देख पाएंगे किसी की प्यारी हंसी,
क्योंकि मास्क चहरे पर नज़र आएंगे।

जो खुद को समझते थे भौकाली,
क्या पता था वो मदद के लिए हाँथ फैलाएंगे।

क्या सोचा था,
दिन ये भी आएंगे।

लेखक
राहुल राम द्विवेदी
” RRD “

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