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      शिव जी की आराधना में न करें तुलसी, हल्दी और सिंदूर सहित इन 6 चीजों इस्तेमाल

      नमस्कार मित्रों,

      हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने, उनकी आराधना करने के विशिष्ट तरीकों का वर्णन हैं।

      कुछ ऐसी सामग्रियां और विधियां होती हैं जो विशिष्ट आराध्य देव को बहुत पसंद होती हैं, उनकी पूजा में उन सामग्रियों की उपलब्धता मनवांछित फल प्रदान करती है।

      लेकिन कुछ ऐसी सामग्रियां भी होती हैं जिनका प्रयोग करना उलटा परिणाम हो सकता है।

      भगवान शिव बहुत ही जल्दी प्रसन्न भी होते हैं तो क्रोध के कारण बहुत जल्दी रौद्र रूप भी धारण कर लेते हैं।

      भगवान शिव को भांगधतूरे का चढ़ावा बहुत पसंद है, पर कुछ ऐसी सामग्रियां भी जिनका उपयोग शिव आराधना के दौरान बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

      शिवपुराण के अनुसार शिव भक्तों को कभी भी भगवान शिव को तुलसी, हल्दी और सिंदूर सहित ये 6 वस्तु नहीं चढ़ाना चाहिए।

      केतकी के फूल

      पौराणिक कथा के अनुसार केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था, जिससे नाराज होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया। शिव जी ने कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। इसी श्राप के बाद से शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है।

      तुलसी की पत्ती

      यूं तो तुलसी की पत्तियां पूजा में काम आती है, लेकिन भगवान शिव की पूजा के लिए नहीं करना चाहिए। भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधरका वध किया था। इसलिए उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।

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      नारियल का पानी

      शिवलिंग पर नारियल अर्पित किया जाता है लेकिन इससे अभिषेक नहीं करना चाहिए। देवताओं को चढ़ाया जाने वाले प्रसाद ग्रहण करना आवश्यक होता है। लेकिन शिवलिंग का अभिषेक जिन पदार्थों से होता है उन्हें ग्रहण नहीं किया जाता। इसलिए शिव पर नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

      हल्दी ना चढ़ाएं

      शिवजी के अतिरिक्त लगभग सभी देवी-देवताओं को पूजन में हल्दी गंध और औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियोचित वस्तु है। स्त्रियोचित यानी स्त्रियों संबंधित। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है।

      शंख से जल

      दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवता परेशान थे। भगवान शंकर ने त्रिशुल से उसका वध किया था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया,उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। शिवजी ने शंखचूड़ का वध किया इसलिए कभी भी शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।

      कुमकुम या सिंदूर

      सिंदूर, विवाहित स्त्रियों का गहना माना गया है। स्त्रियां अपने पति की लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं और भगवान को भी अर्पित करती हैं। लेकिन शिव तो विनाशक हैं, यही वजह है कि सिंदूर से भगवान शिव की सेवा करना अशुभ माना जाता है

      लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.

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