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      || फैशनपरस्ती ||

      गड्ढे में आधुनिकता के ना गड़ने दीजिये,
      फैशनपरस्ती बच्चों में ना पड़ने दीजिये ।

      लिखने और पढ़ने से रिस्ता टूट जायेगा,
      विकास भी स्वयमेव उनसे रूठ जायेगा ।
      विकास की आशा किरण उभरने दीजिये,
      फैशनपरस्ती बच्चों में ना पड़ने दीजिये ।

      बढ़ते हुए कदम जहाँ के तहाँ रुकेंगे,
      स्वाभिमान छोड़ चाहे जहाँ झुकेंगे।
      आत्मबोध मंथन मन में करने दीजिये,
      फैशनपरस्ती बच्चों में ना पड़ने दीजिये ।

      सम्मान बड़ों का मृदु व्यवहार सिखायें,
      व्यवहार में अपने भी सद्व्यवहार दिखायें ।
      लड़े अंधकार से,खुद लड़ने दीजिये,
      फैशनपरस्ती बच्चों में ना पड़ने दीजिये ।

      सादा जीवन है भला उन्हें सिखाईये,
      उच्च विचार की कला उन्हें सिखाईये ।
      सुगंध और प्रकाश से सँवरने दीजिये,
      फैशनपरस्ती बच्चों में ना पड़ने दीजिये ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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