मुम्बई, 21 सितम्बर, 2021: भारत की अग्रणी लर्निंग सोल्युशन कंपनी टीमलीज़ ऐडटेक ने आज अपने नए विश्लेषण ‘करियर आउटलुक रिपोर्ट’ का लॉन्च किया है। यह रिपोर्ट 14 शहरों एवं 18 क्षेत्रों में जुलाई से दिसम्बर 2021 के दौरान फ्रैशर्स की भर्तियों के रूझानों पर रोशनी डालती है। रिपोर्ट के अनुसार 17 फीसदी नियोक्ता 2021 की दूसरी तिमाही में फ्रैशर्स की भर्तियां करना चाहते हैं। रोचक तथ्य यह है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में फ्रैशर्स की भर्तियों के रूझान अधिक हैं। दुनिया भर में इस दृष्टि से औसत 6 फीसदी है जबकि भारत में 17 फीसदी के आंकड़े के साथ स्थिति अधिक मजबूत है।
सेक्टर के परिप्रेक्ष्य से बात करें तो उभरते क्षेत्र जो महामारी के प्रभाव को झेलने में सक्षम रहे हैं और जहां भर्तियों के रूझान अधिक हैं, उनमें शामिल हैं- सूचना प्रोद्यौगिकी- 31 फीसदी, दूरसंचार-25 फीसदी और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप- 25 फीसदी। अन्य क्षेत्र जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं- हेल्थकेयर एवं फार्मास्युटिकल्स- 23 फीसदी, लॉजिस्टिक्स- 23 फीसदी और निर्माण- 21 फीसदी। स्थान के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो फ्रैशर्स की भर्तियों के लिए मुख्य शहर हैं- बैंगलोर- 43 फीसदी, मुंबई- 31 फीसदी, दिल्ली- 27 फीसदी, चेन्नई- 23 फीसदी और पुणे- 21 फीसदी।
इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए श्री शांतनु रूज, संस्थापक एवं सीईओ, टीमलीज़ ऐडटेक ने कहा, ‘‘महामारी के बावजूद फ्रैशर्स की भर्तियों के सकारात्मक रूझान देखकर अच्छा महसूस हो रहा है। फरवरी से अप्रैल के दौरान तकरीबन 15 फीसदी नियोक्ता फ्रैशर्स की भर्तियां करना चाहते हैं। ये रूझान चालू अर्द्ध वर्ष में और भी मजबूत होने का अनुमान हैं, जब तकरीबन 17 फीसदी नियोक्ता फ्रैशर्स की भर्तियां करना चाहते हैं। जहां एक ओर भर्तियों के रूझानों में सुधार हो रहा है, हमें फ्रैशर्स की रोजगार क्षमता पर भी ध्यान देना चाहिए। नियोक्ता ऐसे उम्मीदवारों की भर्तियां करना चाहते हैं जिनमें विशेष कौशल हो, यानि उम्मीदवारों के लिए उचित कौशल प्राप्त करना भी ज़रूरी है। यहां उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उच्च शिक्षा संस्थानों को उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुसार प्रोग्राम पेश करने चाहिए ताकि उम्मीदवारों को इन जॉब रोल्स के लिए सक्षम बनाया जा सके।’’
‘‘भारत में रोज़गार क्षमता, काम के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। जहां एक ओर उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए ज़रूरी है कि वे ब्लेंडेड लर्निंग सिस्टम को अपनाएं। उन्हें लर्निंग के ऐसे मॉडल अपनाने चाहिए जहां ऑफसाईट एवं ऑनसाईट लर्निंग का उपयोग किया जाए, साथ ही उद्योग जगत की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों को सही कौशल के साथ प्रशिक्षण दिया जाए। वहीं दूसरी ओर नियोक्ता को भी फ्रैशर्स के कौशल के लिए भर्तियों एवं प्रशिक्षण की रणनीति पर ध्यान देना चाहिए। आज़ ज़्यादातर नियोक्ता फ्रैशर्स की भर्तियों एवं प्रशिक्षण के लिए हायर-ट्रेन-डिप्लॉय (एचटीडी) का उपयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें भविष्य के लिए मजबूत कार्यबल के रूप में विकसित किया जा सकता है। एचटीडी एवं इसी तरह के अन्य मॉडलों के बढ़ते उपयोग के साथ हमारे युवा अवसरों का बेहतर लाभ उठा सकते हैं।’’ नीति शर्मा, प्रेज़ीडेन्ट एवं सह-संस्थापक, टीमलीज़ ऐडटेक ने कहा।
रिपोर्ट के परिणामों के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में कुछ मुख्य भूमिकाएं जिनके लिए फ्रैशर्स की भर्तियों के रूझान अधिक हैं- हेल्थकेयर असिस्टेन्ट, सेल्स ट्रेनी/ एसोसिएट्स, फुल स्टैक डेवलपर्स, टेलीमार्केटिंग एवं डिजिटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट। रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्टरों एवं भूमिकाओं के अनुसार भर्तियों के रूझान इस प्रकार हैं:
कौशल के परिप्रेक्ष्य से देखा जाए तो नियोक्ता उन उम्मीदवारों की भर्ती करना चाहते हैं जिनके पास डेटा एनालिटिक्स, सेल्स/ कस्टमर सर्विस, डेटा इंजीनियरिंग, पाइथन प्रोग्रामिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट, आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स, डिजिटल मार्केटिंग आदि में गहन कौशल हो। रिपोर्ट इस बात पर भी रोशनी डालती है कि फ्रैशर्स अपनी रोजगार क्षमता में सुधार ला सकते हैं। अध्ययन के अनुसार कुछ कोर्सेज़ जिनकी मांग अधिक है- प्रोग्रामिंग, मोबाइल ऐप डेवलपमेन्ट, एआई और डेटा साइन्स, साइबर-सिक्योरिटी, रीसर्च एण्ड मैनेजमेन्ट।
करियर आउटलुक रिपोर्ट में 14 शहरों और 18 उद्योगों में फ्रैशर्स की भर्तियों के रूझानों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि नियोक्ता अपने उम्मीदवारों में किस तरह के कौशल और रोज़गार क्षमता की उम्मीद रखते हैं। रिपोर्ट के सैम्पल साइज़ की बात करें तो इसमें भारत में 661 और विश्वस्तर पर 52 कारोबारों को शामिल किया गया है।