हाय सुनामी
हाय सुनामी तूने क्या कर डाली होली,
आंसू से पिचकारी भर-भर डाली होली ।
रंग अबीर गुलाल की कोई बात करे ना,
गुजिया,सेव,पापड़ी पर कोई ध्यान धरे ना,
खुशियाँ भर-भर लाती थी हर डाली होली,
हाय सुनामी तूने क्या कर डाली होली ।
बेबस नजरें राह मदद को ताक रही हैं,
कहते-कहते दुख अपना ये कांप रही हैं,
उनके सुख को आग लगाकर डाली होली,
हाय सुनामी तूने क्या कर डाली होली ।
रंग,अबीर,पिचकारी हम जरा न लेंगे,
सगुन करन को भाल, गुलाल मात्र ले लेंगे,
उनकी भरसक मदद करें हैं निराली होली,
हाय सुनामी तूने क्या कर डाली होली ।
कोई रोये कोई हंसे भला कैसी होली,
हमें मनानी है अब तो एक जैसी होली,
लगे नहीं फिर हमको खाली खाली होली,
हाय सुनामी तूने क्या कर डाली होली ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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