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      हिंदी सिनेमा की जालिम सास, रामायण की ईर्ष्यालु मंथरा और महान अदाकारा ललिता पंवार (1916-1998)

      ललिता पंवार का नाम सुनते ही हम सबके सामने एक खतरनाक सास का चेहरा आ जाता है। महिला खलनायिका में उन्हें वही दर्जा मिला था जो प्राण साहब को पुरुष खलनायक के रूप में मिला था। महिला अभिनेत्री द्वारा सबसे ज्यादा फिल्मों में काम करने का रिकॉर्ड इन्हीं के नाम है। इन्होंने 700 से अधिक फिल्मों में काम किया है।

      ललिता पंवार का असली नाम अंबा था।

      वे कभी स्कूल नहीं गई थीं।

      उन्होंने बाल कलाकार के रूप में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था।

      वे अच्छी गायिका भी थीं।

      वे कई फिल्मों में बतौर हीरोइन भी आईं।

      1941 में आई फिल्म ‘अमृत’ मैं इन्होंने मोची का किरदार निभाया था।

      उनका यह रोल इतना पॉपुलर हुआ था कि लोग उनसे छुआछूत का व्यवहार करने लगे थे।

      इस परिस्थिति से बचने के लिए उन्हें अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाना पड़ा था।

      एक दुर्घटना ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी।

      1942 में फ़िल्म ‘जंग-ए-आज़ादी’ के एक सीन की शूटिंग के दौरान अभिनेता भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मारना था, उन्होंने ललिता पंवार को इतनी जोर से थप्पड़ मारा की उनके कान से खून बहने लगा ।

      इलाज के दौरान डॉक्टर द्वारा दी गई गलत दवा के कारण ललिता पंवार के शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया।

      इसी लकवे की वजह से उनकी एक आंख पूरी तरह से सिकुड़ गई और उनका चेहरा खराब हो गया।

      इस घटना के बाद उनको काम मिलना बंद हो गया।

      1948 में उन्होंने फ़िल्म ‘गृहस्थी’ से फिर वापसी की।

      अब उन्हें ज्यादातर रोल खलनायिका के रूप में जालिम सास के मिलने लगे।

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      उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर उन सब किरदारों में जान डाल दी।

      ऐसा नही की उन्होंने खलनायिका के ही रोल किये, उन्होंने फिल्म अनाड़ी, श्री 420, आनंद आदि फिल्मों में अच्छे रोल करके उन्हें अमर कर दिया।

      प्रसिद्ध फिल्मी पत्रिका मायापुरी के 1975 के अंक में दिए इंटरव्यू में ललिता पवार ने एक अत्यंत रोचक बात बताई थी।

      उन्होंने बताया कि बहुत पहले महाराष्ट्र में एक महापुरुष राम गणेश की पुण्यतिथि मनाई जा रही थी उस प्रोग्राम में मैं भी थी।

      वहाँ एक छोटी सी लड़की ने इतना अच्छा गाया कि मैं खुद को भूल गई, मुझे बस वह लड़की दिखाई दे रही थी और उसकी आवाज सुनाई दे रही थी बाद में मुझे इसलिए गुस्सा आया कि उस लड़की को कोई इनाम नहीं मिला।

      मैं गुस्से में खड़ी हो गई और कह दिया कि मेरी तरफ से इस लड़की को सोने का मेडल इनाम में दिया जाएगा।

      क्योंकि उस वक्त मेरे पास सोने का मेडल नहीं था इसलिए बाद में मैंने सोने के कुंडल बनवाएं और कोल्हापुर जाकर उस लड़की को दिए।

      उस लड़की का नाम था लता मंगेशकर।

      यह घटना यह बतलाती है कि ललिता पंवार कितनी महान थी और कला के लिए उनके दिल मे कितना प्यार था।

      रामानंद सागर के प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक ‘रामायण’ में ललिता पंवार ने मंथरा के किरदार को निभा कर हर घर मे अपनी पहचान बना ली।

      उन्होंने अपने जोरदार अभिनय से त्रेता युग की मंथरा को कलयुग में जीवित कर दिया था।

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