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पर्यावरण संताप | 2YODOINDIA POETRY | लेखिका श्रीमती प्रभा पांडेय जी | पुरनम | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY JI

|| हम कुछ जानें या ना जानें ||

हम कुछ जानें या ना जानें

हम कुछ जानें या ना जानें,किन्तु मूल्य पानी का जानें,
एक बूँद पानी की महिमा हम प्यासे बनकर पहचानें ।

सार्वजनिक नलों से कोई,
टोंटी कभी चुरा ना पाये,
टोंटी होगी दस पचास की,
पानी अकारथ ही बह जाये,
पानी व्यर्थ न जाये ठानें,
हम कुछ जानें या न जानें,
किन्तु मूल्य पानी का जानें ।

सब्जी धोने का पानी हम,
गमलों व क्यारी में डालें,
कपड़े धुले हुए पानी से,
घर का आँगन भी धो डालें,
याद रखें जब जायें नहाने,
हम कुछ जानें या न जानें,
किन्तु मूल्य पानी का जानें ।

देखें कहीं जो पानी रिसता,
कर प्रयत्न हम जल्दी रोकें,
पाइप कहीं हो जंग खा गया,
नया पाइप तुरंत ही ठोंके,
रोक के रिसना ही हम मानें ।

हम कुछ जानें या ना जानें, किन्तु मूल्य पानी का जानें,
एक बूँद पानी की महिमा हम प्यासे बनकर पहचानें ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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