More
    26.1 C
    Delhi
    Thursday, September 28, 2023
    More

      इंदिरा एकादशी आज | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      हिंदू पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा पाठ करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

      हिंदू धर्म में सभी एकादशी का विशेष महत्व है। इनमें से एक है इंदिरा एकादशी। इंदिरा एकादशी का व्रत पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन रखा जाता है।

      हिंदू धर्म में इंदिरा एकादशी के व्रत का अहम महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022 दिन बुधवार को रखा जाएगा। इंदिरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

      इसे ‘एकादशी श्राद्ध’ भी कहा जाता है। एकादशी व्रत का मुख्य उद्देश पितरों को मोक्ष देना है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।

      इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती हैं।

      इस व्रत के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए व व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। 

      इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त 

      इंदिरा एकादशी का व्रत रखने का शुभ मुहूर्त है 21 सितंबर दिन बुधवार का है। एकादशी तिथि की शुरुआत 20 सितंबर शाम 9 बजकर 25 मिनट में होगी। वहीं एकादशी की समाप्ति 11बजकर 35 मिनट शाम में होगी।

      इंदिरा एकादशी के दिन न करें ये काम

      एकादशी के दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें। इंदिरा एकादशी के दिन भोग-विलास से दूर रहना चाहिए। एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

      ALSO READ  उपांग ललिता व्रत आज | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      ध्यान रहें कि इस दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए और न ही बाल, दाढ़ी, नाखुन काटने जैसे कार्य नहीं करने चाहिए।

      एकादशी के दिन जितना संभव हो मौन का धारण करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलना, निंदा करना, चोरी करना, गुस्सा करना जैसे काम नहीं करने चाहिए।

      इंदिरा एकादशी का महत्व

      इंदिरा एकादशी के व्रत के एक दिन पहले दशमी शुरू हो जाती है। दशमी के दिन मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान किया जाता है और प्रार्थना की जाती है।

      इंदिरा एकादशी के दिन गरीबों को भोजन कराना शुभ माना जाता है व गाय को रोटी खिलाना भी अच्छा माना जाता है।

      इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा व भक्ति करके व्यक्ति भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करता है।

      इंदिरा एकादशी की व्रत कथा

      पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नाम का एक नगर था। जिसका राजा इंद्रसेन था।

      इंद्रसेन एक बहुत ही प्रतापी राजा था। राजा अपनी प्रजा का पालन-पोषण अपनी संतान के समान करते था।

      राजा के राज में किसी को भी किसी चीज की कमी नहीं थी। राजा भगवान विष्णु का परम उपासक था।

      एक दिन अचानक नारद मुनि का राजा इंद्रसेन की सभा में आगमन हुआ। नारद मुनि राजा के पिता का संदेश लेकर पहुंचे थे।

      राजा के पिता ने कहा था कि पूर्व जन्म में किसी भूल के कारण वह यमलोक में ही हैं।

      यमलोक से मु्क्ति से के लिए उनके पुत्र को इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा, ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके। 

      पिता का संदेश सुनकर राजा इंद्रसेन ने नारद जी से इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में बताने को कहा।

      ALSO READ  इस तरह की महिलाओं को होते हैं जुड़वा बच्चे | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      तब नारद जी ने कहा कि यह एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। एकादशी तिथि से पूर्व दशमी को विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करने के बाद एकादशी को व्रत का संकल्प करें।

      नारद जी ने आगे बताया कि द्वादशी के दिन स्नान आदि के बाद भगवान की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद व्रत खोलें।

      नारद जी ने कहा कि इस तरह से व्रत रखने से तुम्हारे पिता को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उन्हें श्रीहरि के चरणों में जगह मिलेगी।

      राजा इंद्रसेन ने नारद जी के बताए अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत किया।

      जिसके पुण्य से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे बैकुंठ चले गए।

      इंदिरा एकादशी के पुण्य प्रभाव से राजा इंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति हुई।

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,462FansLike
      76FollowersFollow
      653SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles