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माँ में तेरी सोनचिरैया | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY 2YODOINDIA POETRY

|| जागो प्यारी बहनों जागो ||

जागो प्यारी बहनों जागो सोने का यह वक्त नहीं है,
जो है हाथ तुम्हारे उसको खोने का यह वक्त नहीं है ।

माता पिता ने पाला पोसा सामर्थ्यानुरूप पढ़ाया,
बचा खुचा जो भी बन पाया खर्च ब्याह का आया,
मोटरसाइकिल या फिर टीवी अगर नहीं ले पाया,
निष्चित था मजबूर बेचारा तभी नहीं दे पाया,

मिले उसे अपमान तो बहनों रोने का यह वक्त नहीं,
जागो प्यारी बहनों जागो सोने का यह वक्त नहीं ।

है दहेज अपराध दण्डनीय इसे ध्यान में रखना,
अगर करें वो तुम्हें प्रताड़ित ज्ञान नियम का रखना,
उनके विरुद्ध कोई शिकायत निष्चित लिखकर रखना,
जो भी माध्यम सुलभ लगे तुम भले डाक में रखना,

आँसू के मोती धागे में पिरोने का यह वक्त नहीं है,
जागो प्यारी बहनों जागो सोने का वक्त नहीं है ।

करके अत्याचार अगर वो चाहें तुम्हें भगायें,
तुम्हें भगाकर टी.वी. वाली दूजी ब्याह कर लायें,
तुम बिन जाओ सावन भादो लेकिन वो मुस्काये,
कार और स्कूटर के लालच में जो वो तुम्हें सतायें,

समझ जाओ भावों के सपन संजोने का यह वक्त नहीं है,
जागो प्यारी बहनों जागो सोने का यह वक्त नहीं है

हो सकता है गैस खुली रख तुम्हें रसोई में भेजें,
या फिर जहर तुम्हें देकर वो अपनी खुशी सहेजें,

तुम पर अत्याचार का कोई नया तरीका खोजें,
तरह-तरह से तड़पाने को दूषित करें कलेजे,

उनके कुलषित भाव को समझो धोने का यह वक्त नहीं है,
जागो प्यारी बहनों जागो सोने का यह वक्त नहीं है ।

सोच विचार में पड़कर अपना समय ना जरा गंवाओ,
वो तो मन की कर लें पर तुम सोचती ही रह जाओ,
न्याय मिलेगा निष्चित तुमको यदि न्यायालय जाओ,
अपना दिया दहेज लौटाओ,खाना खर्चा भी पाओ,

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पूरा नहीं मिले तो बहनों पौने का यह वक्त नहीं है,
जागो प्यारी बहनों जागो सोने का यह वक्त नहीं है ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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