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पर्यावरण संताप | 2YODOINDIA POETRY | लेखिका श्रीमती प्रभा पांडेय जी | पुरनम | WRITTEN BY MRS PRABHA PANDEY JI

|| जल जीवन है ||

जल जीवन है

जल जीवन है इसीलिये जल दूषित जरा न कीजिये,
जल स्त्रोतों के प्रति संवेदनशील अभी हो लीजिये ।

जल जीवन का रक्षक है इस बात को गांठ में बांधिये,
जल में कचरा या मल-मूत्र कभी न मिलने दीजिये ।

करें विसर्जन होलिका,गणेश,दुर्गा की प्रतिमा जब,
जल पीना है हमें यही,ये बात हृदय धर लीजिये ।

अस्थि विसर्जन बहुत जरूरी है तो इतना कीजिये,
अस्थि मात्र नदियों में, कचरा राख अलग कर लीजिये ।

जल स्त्रोतों के सभी किनारे पक्के स्वच्छ सपाट रहें,
कुएँ तालाब पर धोना और नहाना वर्जित कीजिये ।

कल कारखाने,फैक्ट्रियों का आम्ल नदी तक न पहुंचे,
सामाजिक संस्थाऐं और सरकार कड़ा रुख कीजिये ।

लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “

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