जल जीवन है
जल जीवन है इसीलिये जल दूषित जरा न कीजिये,
जल स्त्रोतों के प्रति संवेदनशील अभी हो लीजिये ।
जल जीवन का रक्षक है इस बात को गांठ में बांधिये,
जल में कचरा या मल-मूत्र कभी न मिलने दीजिये ।
करें विसर्जन होलिका,गणेश,दुर्गा की प्रतिमा जब,
जल पीना है हमें यही,ये बात हृदय धर लीजिये ।
अस्थि विसर्जन बहुत जरूरी है तो इतना कीजिये,
अस्थि मात्र नदियों में, कचरा राख अलग कर लीजिये ।
जल स्त्रोतों के सभी किनारे पक्के स्वच्छ सपाट रहें,
कुएँ तालाब पर धोना और नहाना वर्जित कीजिये ।
कल कारखाने,फैक्ट्रियों का आम्ल नदी तक न पहुंचे,
सामाजिक संस्थाऐं और सरकार कड़ा रुख कीजिये ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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