जल जीवन का सार है
जल जीवन का सार है, दिनचर्या का आधार है,
जल बिन सूनी है धरा और सूना संसार है ।
जल कल था जल आज,जल की महिमा अपरंपार है,
जल देवों में देवता,भवसागर का पार है ।
जल बिन पल न कटे है,जल बिन हाहाकार है,
मानव जल का बुलबुला, सबका यही विचार है ।
गंगाजल ही अंत में, होता हलक के पार है,
मरने पर भी अस्थियाँ, देते जल में ही डार हैं ।
जल स्त्रोतों की रक्षा,अब हम सब पर भार है,
जो हम उठा न सके तो प्रकृति का संहार है ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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