More
    26.1 C
    Delhi
    Tuesday, October 3, 2023
    More

      || जरा सी भूल ||

      जरा सी भूल पर लड़की को कुछ यूँ सुनना पड़ता है,
      भले छोटे हों या बूढ़े सभी का रोब झड़ता है ।


      कि करके प्रेम इक परजात से की नककटाई है,
      अरे रामा, अरे रामा दुहाई है,दुहाई है,
      विरोध इस जग से तूने ले लिया ना लाज आई है,
      हुई करतूत तेरी से हमारी जगहँसाई है,
      इसी तरह के तानों से सभी का सूर्य चढ़ता है,
      जरा सी भूल पर लड़की को कुछ यूँ सुनना पड़ता है ।


      अगर बेटा यही कर ले गले उसको लगाते हैं,
      भले ही ऊपरी मन से मगर सब मुस्कुराते हैं,
      भले उत्सव करें छोटा, मगर खाना खिलाते हैं,
      बहू स्वीकार है हमको यही जग को दिखाते हैं,
      उदार भाव,दरया दिल है, इससे मान बढ़ता है,
      उन्हें अपना बनाने में हमारा क्या बिगड़ता है ।


      प्रवाहित एक सा है रक्त दोनों में न कोई अंतर है,
      मगर ये भेदभाव फिर भी दोनों में निरन्तर है,
      दिखाते हैं बड़प्पन फिर भी कालिख मन के अंदर है,
      शुरू है सभ्यता कब से, अभी तक मात्र बंदर है,
      अभी तक हम नहीं बदले अभी तक हममें जड़ता है,
      हमारा झूठा दम्भ बेटियों पर भारी पड़ता है ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE

      ALSO READ  || गला घोंट मारना ||

      Related Articles

      2 COMMENTS

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,481FansLike
      76FollowersFollow
      652SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles