More
    26.7 C
    Delhi
    Saturday, April 20, 2024
    More

      || कहता नहीं है माँ | KAHTA NAHI HAI MAA ||

      कहता नहीं है माँ

      पैदा होकर जब तक बच्चा कहता नहीं है माँ,
      तब तक माँ ही होती है बस बच्चे की जुबाँ ।

      पाते ही माँ का आभास,खिलखिला उठता,
      और दुखी हो रोने लगता देख के दूरियाँ ।

      इस समय बच्चा ही माँ की होती जिन्दगी,
      बच्चा ही माँ का सूर्य और बच्चा ही चन्द्रमा ।

      बच्चा ही माँ की साँस और बच्चा ही धड़कनें,
      आँखों का केन्द्र बच्चा ही,हो खुद भले जहाँ ।

      बोलना करता है शुरू बच्चा जब कभी,
      तोतली भाषा में सबसे पहले कहता माँ ।

      सीने से लगा माँ के,बच्चा पी रहा हो दूध,
      आशीश और आनन्द मिल फैलती धमनियाँ ।

      माँ और बच्चे बीच कभी देख ले भगवन,
      करेगा कोशिश कभी ना आये वो दरमियाँ ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      FOR MORE POETRY BY PRABHA JI VISIT माँ में तेरी सोनचिरैया

      ALSO READ  || बढ़िया साड़ी लायेगा ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,753FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles