कोस कोस बेटियाँ अपमान मत करो,
बढ़ बढ़ के बेटा जन्म पर मान मत करो ।
बेटा बेटी दोनों ही हैं देन कुदरत की,
इसलिये ना मान या अपमान मत करो ।
पैदा किया तुमको वो बेटी थी किसी की,
जननी गुणधर्म पर एहसान मत करो ।
पत्नी तुम्हारी भी है, बेटी किसी की,
बेटी जन्म पर उसे परेशान मत करो ।
पढ़ -लिख उठा लेगी बोझ तेरे कंधे का,
बेटी है बोझ ऐसा कुछ ऐलान मत कर ।
ब्याह कर बेटियों का देखभाल कर,
किसी हाल बेटियाँ बलिदान मत करो ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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