बेटी के पैदा होने पर आखिर क्यों संताप करो,
नाम करे रौशन दुनिया में ऐसी कोशिश आप करो ।
लक्ष्मी बाई भी नारी थी कहाँ किसी से डरती थी,
सारी दुश्मन सेना उसके आगे पानी भरती थी ।
बिजली,सखी लक्ष्मी बाई को कब कोई जान सका,
दो फाँकों में चिर जाने पर ही दुश्मन पहचान सका ।
दुर्गावती थी वीर बहादुर कब दुश्मन से हारी थी,
विश्वाशघात के दम पर ही दुश्मन ने बाजी मारी थी ।
इन्द्रा गाँधी राजनीति में महाद्वीप की सिरमौर रहीं,
भारतवर्ष को दुनिया मानी वक्त का ऐसा दौर रहीं ।
कल्पना चावला और सुनीता अंतरिक्ष के शिखर गईं,
नारी शक्ति की गरिमा सारी दुनिया में बिखर गई ।
पढ़ी-लिखी बेटी दुनिया में बेटों से ना कम होती,
कभी कभी तो उसकी करनी बेटों से उत्तम होती ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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