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      || लाचार कर दिया ||

      लाचार कर दिया

      माता-पिता को हर तरह लाचार कर दिया,
      लाज के पर्दे को तार-तार कर दिया ।

      सिगरेट है उंगलियों में उड़ा रही धुआँ,
      आखिर भविष्य क्या है,का होश है कहाँ ।

      सीमित नशे तक जिंदगी का सार कर दिया,
      लाज के पर्दे को तार-तार कर दिया ।

      क्लब में बैठी हाथ मे विस्की का ग्लास है,
      लाज खुद लजा जाये ऐसा लिबास है ।

      है नाम मात्र वस्त्र लघु आकार भर दिया,
      लाज के पर्दे को तार-तार कर दिया ।

      धुन पे थिरक-थिरक नाच नाचती नंगा,
      पुरपुरुष की देह पर पूरा बदन टँगा ।

      यूँ सभ्यता के नाम का उद्धार कर दिया,
      लाज के पर्दे को तार-तार कर दिया ।

      अफीम,चरस,ड्रग्स की आदत है पड़ गई,
      सोचने की शक्ति ज्यों गटर में सड़ गई ।

      तन देने एक गोली में तैयार कर दिया,
      लाज के पर्दे को तार-तार कर दिया ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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