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      || लड़कियाँ | LADKIYAN ||

      लड़कियाँ

      फैशन परस्त लड़कियाँ अक्सर तो सितम ढाती हैं,
      देखने वाली नजर को ज्यादा ही सुहाती हैं ।

      लड़के तो लड़के लड़कियाँ भी गौर से देखे इन्हें,
      ये सोच उनके मन में भी रह रह के गुदगुदाती है ।।

      माता पिता भी सोचते हैं वाह बढ़िया लग रही,
      लाज शर्म धीरे-धीरे उनकी उड़ती जाती है ।

      शोहदों के बीच में मशहूर होती शोखियाँ,
      फब्तियाँ हर राह उन पर आजमाई जाती हैं ।।

      हर नजर उन पर ही तरकश तानती है हर कहीं,
      जैसे दीमक नर्म लड़की को ही पहले खाती है ।

      कश्ती बिना मांझी की उनकी डूबती चाहे जहाँ,
      उस वक्त दुनिया वालदेन को गलत बतलाती है ।।

      इनके उलट मजबूत शक्सियत की लड़कियाँ कई,
      दिखने में सादा हों भले सच्चाई इनको भाती है ।

      घर परिवार ही नहीं रौशन जहान करती हैं,
      खुद कभी गिरती नहीं गिरतों को वो उठाती हैं ।।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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