More
    28.3 C
    Delhi
    Monday, October 7, 2024
    More

      || लक्ष्मी और दुर्गा ||

      लक्ष्मी और दुर्गा

      एक थी लक्ष्मी बाई झाँसी की रानी,
      दूजी थी दुर्गावती,दुर्गा की सानी ।

      दोनों की आदत में बचपन से मेल,
      घुड़सवारी,शिकार खतरों का खेल ।

      पूर्व जन्म की दोनों जैसे थीं बहनें,
      तलवार,कटारी जिन्हें प्रिय थे गहने ।

      दोनों पर आया था असमय वैधव्य,
      उठाना पड़ा राज्य का उत्तरदायित्व ।

      दोनों थीं स्वाभिमानी बहादुर,
      स्वतंत्रता दीवानी,राजनीति में चतुर ।

      दोनों दूरदर्शी न्यायप्रिय महान,
      खुशी में प्रजा की थी दोनों की जान ।

      एक ने किया था गोरों से युद्ध,
      दूजी लड़ी थी,मुगलों विरुद्ध ।

      विस्तारवाद के दोनों खिलाफ,
      करती नहीं थी पर दुश्मन को माफ ।

      दोनों लड़ी जंग बन के मर्दानी,
      दोनों ने किये, दुश्मन पानी-पानी ।

      नहीं दिखता हमको दोनों में अंतर,
      बहादुर थीं दोनों सदा,निरंतर ।

      लक्ष्मी का था लाल शक्ति का रंग,
      झंडा केसरिया था दुर्गा के संग ।

      दोनों ने खाया था अपनों से धोका,
      लड़कर मरी थीं भले सबने रोका

      बदनसिंग न रस्ता गढ़ा का दिखाता,
      आसफरवाँ मारकर ही दिल्ली सिधाता ।

      अड़ा घोड़ा लक्ष्मी का था बड़ा नाला,
      गज घायल दुर्गा का भी नर्रई नाला ।

      कटे सिर मगर ना था सिर झुकाया,
      इतिहास दोनों ने पुख्ता रचाया ।

      पड़े तीर तलवार दोनों के सिर पर,
      कहा दोनों ने था महादेव हर हर ।

      कुछ तो सबक लें देशद्रोही नेता,
      इसी मिट्टी में खूँ है उन देवीयों का ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      ALSO READ  || किसी काम से | KISI KAAM SE ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,841FansLike
      80FollowersFollow
      733SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles