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      || माँ नर्मदा ||

      माँ नर्मदा

      ओढ़े सिर पर चूनर धन धन्य धानी,
      ओम नमो:नर्मदे जन कल्याणी ।

      तेरी कल-कल मधुर,तेरी छल-छल मधुर,
      देता जीवन है अमृत समान पानी

      अमर कंटक हृदय जन्म दाता तेरा,
      ऋषि मुनियों ने गुफा कन्दरा छानी ।

      कूदती,फांदती आई पर्वत शिखर,
      बने अनुपम प्रपात बना दूध पानी ।

      धन्य होते हैं छूकर चरण माँ तेरे,
      साधू संतो की टोली महान ज्ञानी ।

      सींचती आई मैदानी खेतों को तो,
      बनी जन-जन की जीवन नैया तारिणी ।

      ग्वारीघाट, धुआँधार की विहंगम छवि,
      संगमरमर की छटा धवल सुहानी ।

      नीला-नीला से जल,वेग भी है प्रबल,
      दोनों हाथों लुटाये दया,कृपा निधानी ।

      ओम नमो: शिवाय,ओम नमो: शिवाय,
      सन्ध्या परभात भक्तों की यही वाणी ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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