|| माता-पिता का आशिर्वाद ||
माता-पिता का आशिर्वाद
माता-पिता का आशिर्वाद होता ठंडी छाँव,
और स्वर्ग इस दुनिया का है मात-पिता के पाँव ।
इस जहान में ये दोनों जिसको भी मिल जायें,
उसका बिगड़े कुछ नहीं बैरी भले हों गाँव ।
घनी घनेरी राहों को कर देगी रौशन,
मात-पिता की दुआ,चलता नहीं किसी का दाँव ।
जीवन उसका बन जाता हँस के समान,
दुनियां करती रह जाती है काँव, काँव,काँव ।
हो घना जंगल,सागर या फिर रेगिस्तान,
उनको भी मुश्किल लगे जो करना पड़े दुराव ।
दुश्मन की गोली चले या फिर पंजा शेर,
दे सकते वो नहीं है खरोंच, कैसे मारे घाव ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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