पंचांग के अनुसार माघ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां शक्ति के दस महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में शक्ति की साधना की जाती है। हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार, साल में चार बार नवरात्रि का पर्व होता है।
चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है। पंचांग के अनुसार, पहली गुप्त नवरात्रि माघ मास में और दूसरी आषाढ़ मास में पड़ती है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के अलावा मां भगवती दुर्गा के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
दस महाविद्याओं की होती है पूजा
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
मां काली मां तारा मां षोडशी त्रिपुर सुंदरी मां भुवनेश्वरी मां छिन्नमस्ता मां भैरवी मां धूमावती मां बगला मां मातंगी मां कमला
पंचांग के अनुसार, साल की पहली गुप्त नवरात्रि माघ मास में पड़ रही है, जो 22 जनवरी 2023 को शुरू हो रही है और समाप्त 30 जनवरी को हो रही हैं। इस दौरान भक्तगण पूरे 9 दिन तक गुप्त तरीके से मां की उपासना करेंगे।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि- 22 जनवरी 2023 को रात 02 बजकर 22 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 22 जनवरी को ही रात 10 बजकर 27 मिनट तक
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 22 जनवरी को सुबह 08:34 से लेकर 09:59 तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से दोपहर 01 बजे तक माघ मास गुप्त नवरात्रि 2023 महत्व
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के दस विद्या की पूजा करने का विधान है। गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और कामनापूर्ति के लिए माना जाता है।
मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां शक्ति की साधना करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।
इसके साथ ही साधक तंत्र मंत्र और विशेष पाठ करके अपनी कामना को पूर्ण करते हैं।