More
    28.1 C
    Delhi
    Tuesday, June 6, 2023
    More

      || नसीब जगाती हैं बेटियां ||

      भाग्य ले के अपना खुद आती हैं बेटियाँ,
      पत्थर जिगर को मोम बनाती हैं बेटियाँ,

      भूल से मत कहिये हैं नसीब की मारी,
      सोया हुआ नसीब जगाती हैं, बेटियाँ ।

      घर के आँगन की हैं ये चहकती सी चिड़ियाँ,
      घर का कोना-कोना चहकाती हैं बेटियाँ,

      आती हुई अमराई से मीठी सी हैं बयार,
      घर का जर्रा-जर्रा महकाती हैं बेटियाँ ।

      किस्मत अगर दे जख्म तो मरहम हैं बेटियाँ,
      हर दुआ पीहर पे लुटाती हैं बेटियाँ।

      खाती हैं रूखी सूखी और पी लेती हैं पानी,
      पीहर की हर कमी को छिपाती हैं बेटियाँ ।

      खुश देख माता पिता को होती हैं खुश सदा,
      दुख दर्द हो तो दौड़ती आती हैं बेटियाँ ।

      खुशनसीब हैं वो जो करते हैं कन्यादान,
      स्वर्ग की देहरी भी खुलवाती हैं बेटियाँ ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE

      ALSO READ  || कोस कोस बेटियाँ ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,231FansLike
      57FollowersFollow
      605SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles