नेहरू जी के जिगर का टुकड़ा
नेहरू जी के जिगर का टुकड़ा इंद्रा गाँधी नाम,
जिसकी रंगों में बहता रहता देश प्रेम अविराम ।
नेतृत्व की महिमा भरी बचपन से थी साथ,
वानर सेना जैसी कुछ वो जोड़े थी जमात ।
देश प्रेम के नशे में उसने किया नहीं विश्राम,
जिसकी रगों में बहता रहता देश प्रेम अविराम ।
राजनीति में प्रखर थी उसकी बढ़ती गई सुगंध,
ब्याह हुआ फिरोज से उसकी किस्मत का अनुबंध ।
बेटे भी दो हो गये राजीव, संजय नाम,
जिसकी रगों में बहता रहता देश प्रेम अविराम ।
बढ़ती चढ़ती ही गई वो आया ऐसा दौर,
एक समय वो बन गई थी भारत की सिरमौर ।
झंडा ऊँचा ही रहा,जहाँ किया संग्राम,
जिसकी रगों में बहता रहता देश प्रेम अविराम ।
बंजर राजस्थान को दिया नहर से जोड़,
जनसेवा के लिये जान का मोह चुकी थी छोड़ ।
हर मसीह के जैसा उसका भी था हुआ अंजाम,
जिसकी रगों में बहता रहता देश प्रेम अविराम ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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