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      पौष अमावस्या आज | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      हिंदू धर्म में पौष मास की अमावस्या तिथि को खास महत्व दिया जाता है। इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खास उपाय किए जाते हैं।

      हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। अमावस्या को पूर्वजों या पतरों का दिन कहते हैं। इस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है।

      पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या कहा जाता है।

      ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि में मौजूद रहते हैं।

      पौष अमावस्या की तिथि 

      पौष अमावस्या तिथि आरंभ- 22 दिसम्बर 2022, शाम 07:13 बजे से

      अमावस्या तिथि समाप्त- 23 दिसम्बर 2022, दोपहर 03:46 बजे तक

      पौष अमावस्या तिथि- 23 दिसम्बर 2022, शुक्रवार

      पौष अमावस्या के दिन क्या करें 

      पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। ऐसे में इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें।

      तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

      पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।

      जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग उपस्थित है। उन्हें पौष अमावस्य का उपवास कर पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए।

      अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।

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      मान्यता है कि पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

      पौष अमावस्या का महत्व

      हिन्दू धर्म ग्रन्थों में पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह माह श्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। पौष मास में होने वाले मौसम परिवर्तन के आधार पर आने वाले साल में होने वाली बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है।

      पौष अमावस्या की पूजा विधि

      पौष अमावस्या के दिन प्रात: किसी नदी या तालाब में जरूर स्नान करना चाहिए। इससे बाद सबसे पहले तांबे के पात्र में शुद्ध जल से सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य में लाल पुष्य या लाल चंदन डालना उत्तम माना गया है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों को तर्पण देना चाहिए. पौराणिक मान्यता है कि पितृ दोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या के दिन पितरों के मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रखना चाहिए। पौष अमावस्या के दिन गरीबों को भोजन कराने से भाग्य खुलता है। 

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