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      || पिघलने से रोक लो ||

      पिघलने से रोक लो

      बर्फ हिमालय की पिघलने से रोक लो,
      पृथ्वी का तापमान उबलने से रोक लो ।

      छिद्र बढ़ ना पायेगा ओजोन परत का,
      अणु बमों को तुम यदि चलने से रोक लो ।

      वन संपदा की रक्षा करो प्राणों के समान,
      जल न पायें घर्षण से जलने से रोक लो ।

      धुआँ जो करे प्रदूषित पर्यावरण को,
      ऐसे सभी धुओं को निकलने से रोक लो ।

      घोल ना पाये कोई विकसित भले हो राष्ट्र,
      पर्यावरण में गंदगी घुलने से रोक लो ।

      प्रकृति के प्रतिकूल कुछ होना ना चाहिये,
      खल न पाये प्रकृति को खलने से रोक लो ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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