प्रकृति से तालमेल
नहीं बिगाड़ें हम प्रकृति से अपना ताल मेल,
ना आयेगी बाढ़, न तांडव करे विनाश के खेल ।
सीमेन्ट पुल में लगे बराबर सही लगे हर पांत,
नाही असमय पुल टूटे ना टकरायेगी रेल ।
नेता मांगे अगर कमीशन बांध भले टूटे,
मानव जीवन से जो खेले उसको ठूंसो जेल ।
निपटें सब मिल त्रासदियों से ऐसे रहें तैयार,
ना भूकंप मिटा पायेगा, रहे सुनामी फेल ।
वृक्षों से जंगल भर डालो,बने परत ओजोन,
रहें जागरूक व कर्तव्य निभायें रेलमपेल ।
इतने कठिन समय में हम ना बैठें आँखें मूंद,
करे विनाश प्रकृति का जो,डालें उन्हें नकेल ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE
DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE