More
    32.8 C
    Delhi
    Saturday, April 20, 2024
    More

      || रिश्तों की स्टेपनी ||

      नमस्कार मित्रों,

      जिदंगी एवं कार मे स्टेपनी के महत्व को ससझाने का प्रयास

      कुछ साल पहले जब मैंने पहली बार बीएमडब्लू कार खरीदी थी, तब मुझे पता चला था कि इसमें स्टेपनी नहीं होती।

      स्टेपनी नहीं होती? मतलब?

      मतलब इसकी डिक्की में वो अतिरिक्त पहिया नहीं होता, जो आम तौर पर सभी गाड़ियों में होता है। और इसके पीछे तर्क ये था कि इस गाड़ी में रन फ्लैट टायर लगे होते हैं।

      रन फ्लैट टायर का मतलब ऐसे टायर, जो पंचर हो जाने के बाद भी कुछ दूर चल सकते हैं।

      भारत में जब बीएमडब्लू गाड़ियां लांच हुई थीं, तब कंपनी के लोगों ने यहां की सड़कों का ठीक से अध्ययन नहीं किया था।

      यूरोप और अमेरिका में ये गाड़ियां सफलता पूर्वक चल रही थीं, तो उसकी वज़ह ये थी कि वहां सड़कें काफी अच्छी होती हैं, और दूसरी बात ये कि जगह-जगह कंपनी के सर्विस सेंटर भी होते हैं।

      मैंने जब बीएमडब्लू कार खरीदी, तो मुझे बताया गया कि इसमें एक्स्ट्रा टायर की न ज़रूरत है, न जगह।
      अब स्टेपनी नहीं होने का अर्थ ये तो नहीं था कि गाड़ी पंचर ही नहीं होगी।

      एक दिन गाड़ी पंचर हो गई।

      मैं गाड़ी चलाता रहा। कायदे से ये टायर पंचर होने के बाद पचास किलोमीटर तक चल सकते हैं, पर पचास किलोमीटर की दूरी पर बीएमडब्लू का सर्विस स्टेशन होना चाहिए।

      मेरी गाड़ी पंचर हुई, दिल्ली-जयपुर के रास्ते पर।

      मैं गाड़ी घसीटता रहा, आख़िर में टायर पूरी तरह फट गया।

      रास्ते मे किसी टायर वाले के पास मेरी गाड़ी का इलाज़ तब नहीं था।

      मैं उस समस्या से कैसे निकला, ये कभी बताऊंगा, पर आज तो यही कि मैंने कंपनी में शिकायत की, तो कंपनी ने कहा कि मुझे एक ‘डोनट’ टायर गाड़ी में रखना चाहिए।

      अब डोनट टायर क्या होते हैं?

      अमेरिका में खाई जाने वाली एक मिठाई को डोनट कहते हैं।

      आटे और चीनी की यह गोल सी मिठाई होती है।

      ALSO READ  || चिठ्ठी ||

      अगर जलेबी उलझी हुई न हो, सिर्फ गोल हो, तो वो भी डोनट की तरह दिखेगी।

      भारत में कारोबार कर रही बीएमडब्लू कंपनी यह समझ चुकी थी कि यहां की सड़कों पर बिना एक्स्ट्रा टायर के गाड़ी नहीं चल सकती, तो उन्होंने एक पतले से टायर को डोनट टायर के नाम पर बेचना शुरू कर दिया था।

      यह एक तरह से मोटर साइकिल के टायर जैसा एक टायर होता है, जिसे इमरजंसी में आप पंचर पहिए की जगह लगा कर कुछ किलोमीटर की दूरी धीरे-धीरे तय कर सकते हैं।

      कुछ किलोमीटर यानी कुछ ही किलोमीटर। इसे लगा कर आप न गाड़ी फर्राटे से चला सकते हैं, न बहुत दूर जा सकते हैं।

      मैंने डोनट टायर भी खरीद लिया। गाड़ी में उसे रखने की जगह नहीं थी, पर मैंने किसी तरह पीछे रख लिया।

      हाय रे मेरी किस्मत!!

      एक बार मथुरा जाते हुए मेरी गाड़ी फिर पंचर हो गई।

      मैंने बहुत मशक्कत से पंचर पहिया की जगह डोनट टायर लगा दिया।

      डोनट टायर की मदद से मैं मथुरा तो पहुंच गया, पर वहां कहीं बीएमडब्लू का सर्विस सेंटर नहीं मिला।

      अब रन फ्लैट टायर का क्या करूं? डोनट टायर से वहां पहुंच तो गया, पर वापसी कैसे हो?

      उस दिन भी मैं भारी मुश्किल में पड़ा। रन फ्लैट टायर हर जगह मिलते नहीं थे, उनकी मरम्मत भी हर जगह तब नहीं हुआ करती थी। ऐसे में गाड़ी तो थी, पर चल नहीं सकती थी।

      टायर और गाड़ी की पूरी कहानी फिर कभी सुनाऊंगा। आज तो इतना ही कि मैं उस गाड़ी से इतना परेशान हो गया था कि मैंने गाड़ी ही बदल दी।

      खैर, आज मुझे उस बारे में बात नहीं करनी।

      आज तो मैं आपसे रिश्तों की स्टेपनी की बात करने जा रहा हूं।

      कल ही मुझे पता चला कि मेरी एक परिचित, जो दिल्ली में अकेली रहती हैं, उनकी तबियत ख़राब है। मैं उनसे मिलने उनके घर गया।

      ALSO READ  ।। भिखारी के यहां नौकरी ।।

      वो कमरे में अकेली बिस्तर पर पड़ी थीं। घर में एक नौकरानी थी, जो आराम से ड्राइंग रूम में टीवी देख रही थी।

      मैंने दरवाजे की घंटी बजाई, तो नौकरानी ने दरवाज़ा खोला और बड़े अनमने ढंग से उसने मेरा स्वागत किया। ऐसा लगा जैसे मैंने नौकरानी के आराम में खलल डाल दी हो।

      मैं परिचित के कमरे में गया, तो वो लेटी थीं, काफी कमज़ोर और टूटी हुई सी नज़र आ रही थीं।

      मुझे देख कर उन्होंने उठ कर बैठने की कोशिश कीं। मैंने सहारा देकर उन्हें बिस्तर पर बिठाया।

      मेरी परिचित चुपचाप मेरी ओर देखती रहीं, फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ?

      परिचित मेरे इतना पूछने पर बिलख पड़ीं। कहने लगीं, “बेटा अब ज़िंदगी में अकेलापन बहुत सताता है। कोई मुझसे मिलने भी नहीं आता।” इतना कह कर वो रोने लगीं। कहने लगीं, “ बेटा, मौत भी नहीं आती। अकेले पड़े-पड़े थक गई हूं। पूरी ज़िंदगी व्यर्थ लगने लगी है।”

      मुझे याद आ रहा था कि इनके पति एक ऊंचे सरकारी अधिकारी थे।

      जब तक वो रहे, इनकी ज़िंदगी की गाड़ी बीएमडब्लू के रन फ्लैट टायर पर पूरे रफ्तार से दौड़ती रही।

      इन्होंने कई मकानों, दुकानों, शेयरों में निवेश किया, लेकिन रिश्तों में नहीं किया।

      तब इन्हें लगता था कि ज़िंदगी मकान, दुकान और शेयर से चल जाएगी।

      इन्होंने घर आने वाले रिश्तेदारों को बड़ी हिकारत भरी निगाहों से देखा।

      इन्हें यकीन था कि ज़िंदगी की डिक्की में रिश्तों की स्टेपनी की ज़रूरत नहीं।

      एक बेटा था और तमाम बड़े लोगों के बेटों की तरह वो भी अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ता हुआ अमेरिका चला गया।

      एक दिन पति संसार से चले गए, मेरी परिचित अकेली रह गईं।

      ज्यादा विस्तार में क्या जाऊं, इतना ही बता दूं कि ये यहां पिछले कई वर्षों से अकेली रहती हैं।

      क्योंकि इन्होंने अपने घर में रिश्तों की स्टेपनी की जगह ही नहीं रखी थी, तो इनसे मिलने भी कोई नहीं आता। अब गाड़ी है, तो पंचर तो हो ही सकती है। तो एक दिन इन्होंने नौकरानी रूपी डोनट स्टेपनी देखभाल के लिए रख ली।

      ALSO READ  || कामयाब इन्सान ||

      कल जब मैं अपनी परिचित के घर गया, तो रिश्तों की वो डोनट स्टेपनी ड्राइंग रूम में टीवी देख रही थी।

      मेरी परिचित अपने कमरे में बिस्तर पर कुछ ऐसे लेटी पड़ी थीं जैसे मथुरा में अपनी गाड़ी के पंचर हो जाने के बाद जब तक कंपनी से कोई गाड़ी उठाने नहीं आया, मैं पड़ा था।

      गाड़ी सस्ती हो या महंगी उसमें अतिरिक्त टायर का होना ज़रुरी है।

      स्टेपनी के बिना कितनी भी बड़ी और महंगी गाड़ी हो, पंचर हो गई, तो किसी काम की नहीं रहती।

      ज़िंदगी में चाहे सब कुछ हो, अगर आपके पास सुख-दुख के लिए रिश्ते नहीं, तो आपने जितनी भी हसीन ज़िंदगी गुजारी हो, एक दिन वो व्यर्थ नज़र आने लगेगी।

      उठिए, आज ही अपनी गाड़ी की डिक्की में झांकिए कि वहां स्टेपनी है या नहीं।

      है तो उसमें हवा ठीक है या कम हो गई है।

      उठिए और आज ही अपनी ज़िंदगी की डिक्की में भी झांकिए कि उसमें रिश्तों की स्टेपनी है या नहीं।

      है तो उसमें मुहब्बत बची है या कम हो गई है।

      ध्यान रहे, डोनट टायर के भरोसे कार कुछ किलोमीटर की ही दूरी कर पाती है, पूरा सफर तय करने के लिए तो पूरे पहिए की ही ज़रूरत होती है।

      अमेरिका और यूरोप में सड़कें अच्छी हैं, तो वहां शायद रन फ्लैट टायर वाली गाड़ियां साथ निभा भी जाती हैं।
      वहां सरकार आम आदमी को सामाजिक सुरक्षा देती है, तो आदमी तन्हा भी किसी तरह जी लेता है।
      लेकिन हमारे यहां न सड़कें अच्छी हैं, न कोई सामाजिक सुरक्षा है। ऐसे में हमें गाड़ी के पीछे पूरा टायर भी चाहिए और ज़िंदगी के पीछे पूरे रिश्ते भी। जो चूका, समझिए वो चूक ही गया।

      लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद मित्रों.

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,754FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles