|| ससुराल जाते समय बहन से ||
बहना हो तुम मेरी प्यारी सी हसीं बहना,
मेरे बाद तुम ही मेरे पीहर का गहना ।
खुशहाल रहो मेरी तो बस है इक यही दुआ,
कोई गम या मुश्किल भी तुमको पड़े ना सहना ।
रूखी सुखी जो मिले खाना और पानी पी लेना,
बात अपने घर की कभी बाहर नहीं कहना ।
बाबुल के चिथड़े मखमल समझ के पहनना तुम,
खुश रहना सदा चाहे जिस हाल पड़े रहना ।
आन बाबुल के घर की रखना जान से बढ़कर,
कुछ भी हो किसी बात का मत देना उलहना।
|| ससुराल जाते समय सखियों से ||
बात सुनो मेरी सखियों तुम प्यारी सहेली मेरी,
गीत थीं मेरा तुम ही,थी तुम ही पहेली मेरी ।
देखना बाबुल की आँख कहीं छलक ना जाये,
फले फूले मेरा पीहर और दमके हवेली मेरी ।
मेंहदी भी रचाओगी सावन के महीने में तुम,
हाथ तुम्हारा देखके बाबुल मान ले हथेली मेरी ।
मेरे भाई बहनों को धीरज बंधाना तुम जरूर,
महकेगी अमराई सब जब महकेगी चमेली मेरी ।
करके जतन तुम सब जल्दी भाभी ढूंढो,
कमी न अखरेगी आने से भाभी नवेली ,मेरी ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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