More
    35.1 C
    Delhi
    Tuesday, April 23, 2024
    More

      || ससुराल से बेटी का पत्र ||

      मात-पिता,भाई-बहन,आस-पड़ोस की सब सखियाँ,
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      अपनी शक्ति से कुछ बढ़ चढ़कर ही तुमने खर्च किया था,
      जितना भी संभव था देना उससे भी अधिक दिया था,
      पढ़ा-लिखाकर भी तो गुण और ज्ञान जो मुझे दिया था,
      बेटों जैसा ही पालन और पोषण मेरा किया था ।

      इन सब बातों का फिर भी इनकी नजरों में मूल्य कहाँ,
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      देना मुझे गरीब के घर में लालचियों को मत देना,
      लेकिन तुमने अपनी धुन में माना कहाँ मेरा कहना,
      तुमने की है भूल मगर मुझको है यहाँ पड़ा सहना,
      ना ही चैन की रोटी खाई ना पहना कपड़ा गहना ।

      पल-पल भर-मर जीती हूँ और मरती पल-पल रोज यहाँ
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      एक रोज कम नमक के कारण इन्होंने मुझे झंझोड़ दिया,
      सारी चूड़ी टूट गई हाथ भी मेरा मोड़ दिया,
      खून से सनी कलाई वाला हाथ भी मैंने जोड़ दिया,
      फिर भी इन्होंने धक्का देकर सहन शक्ति को तोड़ दिया ।

      अनुनय-विनय,दयाभावना का महत्व है यँहा कँहा,
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      मिर्च मिलाकर रंग वाली पिचकारी ननदी मार गई,
      असहय वेदना आँख, गाल की धो-धो कर मैं हार गई,
      सासू जी कनखी से हँसती बेटी को पुचकार गई,
      मुझको ऐसा लगा कि तीर कलेजे पर ज्यों मार गई ।

      सदाचार और आदर सब थोथी बातें हैं दिखा यहाँ
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      ALSO READ  || संकट में बाघ ||

      बड़े प्रेम से माँ तुमने लटकन वाली बिंदिया दी थी,
      दूजे दिन ही सासू माँ ने बालों सहित नोच ली थी,
      मौसी-माँ बनारस वाली ने लहंगा-चुनरी दी थी,
      दीवाली पर ननद ने मेरी लहंगा चुनरी ले ली थी ।

      किसको अपना समझूँ मैं अपना ना लगता कोई यँहा,
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      कुछ दिन से मुझको इनका अच्छा लगता व्यवहार नहीं,
      मुझको बसने देंगे ये लगते ऐसे आसार नहीं,
      रखा था तुमने कलियों जैसे,सहना संभव मार नहीं,
      प्रतिदिन बढ़ते जाते हैं कम होते अत्याचार नहीं ।

      फिर भी आत्महत्या कर लूँगी ऐसी सोच न लाना माँ,
      मैं जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      अगर कहीं इनकी मांगे पूरी करना सम्भव होता,
      सारा घर भी बेच के दे ना पाते हम इनको ट्वेटा ।
      नोटों का बागान समझते अपना इकलौता बेटा,
      जिससे शादी करने वाला कोठी इनको दे देता ।

      लालच इनकी नस-नस में है इनको संयम सब्र कहाँ,
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      अगर कोई दुर्घटना का संदेश कोई तुम तक लाये,
      निश्चित ही षड़यंत्र समझना लाख कोई कुछ समझाये ।
      दिया आप ही का कोई साड़ी का टुकड़ा मिल जाये,
      चिपका मेरे जिस्म का टुकड़ा उसमें कहीं समझ आये ।

      कैसी मौत इन्होंने मुझको दी होगी फिर छिपा कहाँ,
      मैं जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      जली फूंकी सी तुमको शायद मिल जाये जो देह मेरी,
      न्यायालय में सीधे जाना इसमें ना करना देरी ।
      साक्ष्य मिटाने की कोशिश में लाख करें हेरा-फेरी,
      इसी पत्र को साक्ष्य बनाकर कर देना दावा डिक्री ।

      ALSO READ  || पुष्प की महिमा ||

      तुम सब धीरज मत खोना इन पर थूकेगी जग दुनिया,
      मैं तो जैसी हूँ सो हूँ, अच्छे होंगे सब लोग वहाँ ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,752FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles