|| शिक्षा है अनमोल रतन ||
बेटा हो या बेटी सबको शिक्षा है अनमोल रतन,
खुल जाते हैं ज्ञान के चक्षु हो जाता सुखमय जीवन ।
बिन शिक्षा हर प्राणी जैसे भेड़, बकरियाँ, बैल,गाय,
शिक्षा में तपकर बन जाता हर प्राणी जैसे कुंदन ।
बिन शिक्षा लगता है सबको काला अक्षर भैंस समान,
अक्षर ज्ञान बना देता है पुंज प्रकाश भरा दर्पण ।
शिक्षा है आवश्यक सबको हो मजदूर वो भले किसान,
शिक्षा के कारण बन जाता साधारण मानुख कंचन ।
अधिक नहीं तो कम से कम आवश्यक है अक्षर ज्ञान,
शिक्षा से व्यक्तित्व सँवर जाता जैसे वन में चंदन ।
बिन शिक्षा रहता है आदमी डरा डरा सा,सहमा सा,
शिक्षित जीवन बन जाता है निडर,सुघड़ व सम्पूरन ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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