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      || सुबह शाम ||

      क्योंरी बहू क्या ये मुरही तेरा वंश चलायेगी,
      सुबह शाम जो इस मुरही को महंगा ढूध पिलाएगी ।


      दाल,भात, रोटी,सब्जी ही तुम तो इसको दिया करो,
      जितना भी संभव हो इससे घर का काम भी लिया करो ।


      अधिक लाड़ दिखलाया तुमने बस कतार लग जायेगी,
      सुबह शाम जो इस मुरही को महंगा ढूध पिलाएगी ।


      जितना इसे खिलाओगी तुम दूजे के घर जाना है,
      इसका खाया पिया तुम्हारे काम भला कब आना है ।


      खा पी अच्छा जल्दी ही ये ब्याहन को हो जाएगी,
      सुबह शाम जो इस मुरही को महंगा दूध पिलायेगी ।


      कपड़ा भी इसको मोटा खादी ही पहनाया कर,
      महने में एक आध बार ही सिर में तेल लगाया कर ।


      अच्छा पहनेगी तो सब की नजरों में चढ़ जायेगी,
      सुबह शाम जो इस मुरही को महंगा दूध पिलायेगी ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

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