उमस
उफ ये उमस,हाय रे उमस,
स्वेद की नदिया बहाये रे उमस ।
हर प्राणी घर भीतर भागे,
ना सो पाये ना ही जागे,
गजब सभी पर ढाये रे उमस,
उफ ये उमस,हाय रे उमस ।
पानी पानी पीते जायें,
ठंडा पीते नहीं अघायें,
फिर भी अगन लगाये रे उमस,
उफ ये उमस,हाय रे उमस ।
पंखा हारे,कूलर हारे,
प्याऊ बैठे द्वारे-द्वारे,
फिर भी पर न पाये रे उमस,
उफ ये उमस,हाय रे उमस ।
बीत गये नौतपा सकारे,
जीभ निकाले पशु हरवारे,
लगे प्राण ले जाय रे उमस,
उफ ये उमस,हाय रे उमस ।
आग से बढ़कर तपे है लू,
बिना देखे सब जलता धू,
धीरज दियो जलाय रे उमस,
उफ ये उमस,हाय रे उमस ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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