More
    36.1 C
    Delhi
    Friday, March 29, 2024
    More

      || उमस ||

      उमस

      उफ ये उमस,हाय रे उमस,
      स्वेद की नदिया बहाये रे उमस ।

      हर प्राणी घर भीतर भागे,
      ना सो पाये ना ही जागे,
      गजब सभी पर ढाये रे उमस,
      उफ ये उमस,हाय रे उमस ।

      पानी पानी पीते जायें,
      ठंडा पीते नहीं अघायें,
      फिर भी अगन लगाये रे उमस,
      उफ ये उमस,हाय रे उमस ।

      पंखा हारे,कूलर हारे,
      प्याऊ बैठे द्वारे-द्वारे,
      फिर भी पर न पाये रे उमस,
      उफ ये उमस,हाय रे उमस ।

      बीत गये नौतपा सकारे,
      जीभ निकाले पशु हरवारे,
      लगे प्राण ले जाय रे उमस,
      उफ ये उमस,हाय रे उमस ।

      आग से बढ़कर तपे है लू,
      बिना देखे सब जलता धू,
      धीरज दियो जलाय रे उमस,
      उफ ये उमस,हाय रे उमस ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE

      ALSO READ  || शबरी के राम | SHABRI KE RAM ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,730FansLike
      80FollowersFollow
      718SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles