बेटी अपनी दे बहुत उपकृत किया है आपने,
जिगर का टुकड़ा दिया है, धन दिया है आपने ।
शोभा बनने जा रही है जिस घर मे बेटी आपकी,
प्रेम रस बरसाएगी उस घर मे बेटी आपकी,
मान रख बुजुर्ग का मन ले लिया है आपने,
बेटी अपनी दे बहुत उपकृत किया है आपने ।
मांगने आया था दरवाजे पे बेटी आपकी,
दान रूप मिल गयी मुझको ये बेटी आपकी,
मान मेरा रख लिए अच्छा किया है आपने,
बेटी अपनी दे बहुत उपकृत किया है आपने ।
मांगने वाले का नीचे रहता जैसे हाँथ है,
वैसे ही छोटा हूँ मैं छोटी मेरी औकात है,
आज इस औकात की पत रख लिया है आपने,
बेटी अपनी दे बहुत उपकृत किया है आपने ।
लेखिका
श्रीमती प्रभा पांडेय जी
” पुरनम “
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