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      विश्वकर्मा जयंती आज | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार हैं तथा भगवान ब्रह्मा जी के निर्देश अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी सारी सृष्टि के सृजनकर्ता भी हैं। इस सारी सृष्टि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ब्रह्माजी के निर्देशानुसार किया था। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के सभी अस्त्रों एवं शस्त्रों का निर्माण किया था।

      प्राचीन हिंदू इतिहास की प्रमुख राजधानी जैसे लंका इंद्रप्रस्थ और द्वारिका का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था। हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के त्रिशूल का निर्माण तथा देवराज इंद्र के वज्र का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा जी ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा के पुत्र नल जो कि वानर के रूप में त्रेता युग में जन्म लिए थे उन्होंने भी भगवान राम के साथ रहकर राम सेतु का निर्माण किया था।

      विश्वकर्मा के सफेद रंग के बाल हैं तथा वह हंस में सवारी करते हैं, इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा हाथी की भी सवारी करते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा के पिता वास्तु है लेकिन कहीं कहीं पर भगवान ब्रह्मा को भगवान विश्वकर्मा का पिता बताया गया है। भगवान विश्वकर्मा के तीन पुत्री और 5 पुत्र हैं। भगवान विश्वकर्मा की एक पुत्री सूर्य देव की अर्धांगिनी भी है।

      भगवान विश्वकर्मा मृत्यु के देवता यमराज के नाना है तथा धरती में बहने वाली यमुना यमराज की बहन है इस प्रकार विश्वकर्मा यमुना के भी नाना है। भगवान विश्वकर्मा सूर्य देव के ससुर भी हैं।

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      हिंदू पंचांग के अनुसार विश्वकर्मा जयंती माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रदोष को मनाया जाता है। वर्ष 2023 में विश्वकर्मा जयंती 3 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। विश्वकर्मा जयंती के दिन पूरे भारत भर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की जो व्यक्ति पूजा करता है उसके सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं।

      विश्वकर्मा मंत्र 

      सुबह विश्वकर्मा जयंती के दिन स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहनकर निम्न मंत्र से भगवान विश्वकर्मा का ध्यान किया जाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं और अपने भक्त पर अपनी कृपा दृष्टि बनाते हैं। जिससे भक्त के सभी रुके हुये काम बनने लगते हैं और बिना किसी बाधा के हर काम मे सफलता मिलने लगती हैं।

      ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।

      क्या ब्रह्मा और विश्वकर्मा एक ही हैं?

      भगवान विश्वकर्मा को अक्सर ब्रम्हा जी का पुत्र मान लिया जाता हैं। लेकिन निरुक्त और ब्रांहणों मे उन्हे भुवन का पुत्र बताया गया हैं तो वही पर महाभारत और हरिवंश ग्रंथ मे उन्हे वसु का पुत्र बताया गया हैं। ग्राथों मे विश्वकर्मा जी की जो रूप-रेखा एवं आचार-विचार बताए गए हैं वो भगवान ब्रम्हा जी से काफी मिलते जुलते हैं। इस लिए कई दर्शन शास्त्रियों के मत हैं की भगवान ब्रम्हा और भगवान विश्वकर्मा एक ही हैं।

      भगवान विश्वकर्मा की जन्म कथा

      भगवान विश्वकर्मा जी के जन्म का एक प्रसंग यह मिलता है कि जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेष-शैया के साथ प्रकट हुये थे, तब उनकी नाभि से एक कमल निकाला था, जिसमें भगवान ब्रह्माजी विराजमान थे। भगवान ब्रह्माजी के पुत्र धर्म हैं, उन्हे धर्म के पुत्र वास्तुदेव हैं जिनकी शादी अंगीरसी नामकी कन्या से हुआ था। वस्तुदेव और अंगीरसी के पुत्र भगवान विश्वकर्मा जी हैं।

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      विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करना चाहिए
      • विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने घर मे रखे औजारों की पूजा करनी चाहिए, अगर आप विद्यार्थी या शिक्षक हैं तो विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी किताब और पेन की पूजा जरूर करे।
      • विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने रोजगार से संबन्धित चीजों की साफ सफाई रखे, उन्हे व्यवस्थित तरीके से उस दिन रखे।
      • विश्वकर्मा पूजा के दिन घर मे रखी हुई महत्वपूर्ण उपकरणो को धूप-दीप जरूर दिखाना चाहिए तथा उन्हें हल्दी का टीका लगाना चाहिए, उदाहरण, फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन आदि।
      • विश्वकर्मा पूजा के दिन मांस-मंदिरा से दूर रहना चाहिए, वरना रोजगार एवं काम धंधो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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