More
    36.1 C
    Delhi
    Friday, March 29, 2024
    More

      || वृक्ष और हम ||

      वृक्ष और हम

      वृक्ष बहुत ही मंगलकारी और सभी को भाते हैं,
      वृक्ष से लेकर मीठे फल हम बड़े प्रेम से खाते हैं ।

      आसपास जो वृक्ष न हों तो लगता कितना नीरस है,
      जमघट जहाँ हुआ वृक्षों का,दृश्य बहुत ही सुहाते हैं ।

      हरे-भरे वृक्षों का होना सुख शान्ति द्योतक है,
      शुद्ध प्राण दायिनी वायु वृक्षों से हम पाते हैं ।

      वृक्षों से हमको मिल जाती जड़ी बूटियाँ अति अनमोल,
      पकड़ जड़ों को धरती को कटने से वृक्ष बचाते हैं ।

      वृक्षों पर खिलने वाले फूलों की शोभा अनुपम है,
      हीरे मोती उनकी आभा के सम्मुख शरमाते हैं ।

      थके पथिक की व्यथा वृक्ष बिन क्या कोई बतला पाये,
      दूर-दूर तक छाया ना मिलना दिल को दहलाते हैं ।

      वृक्ष हमारे संगी,साथी,मित्र,सहोदर,रिश्तेदार,
      वृक्ष नहीं कम किसी देव से सभी पूज्य बतलाते हैं ।

      अहित वृक्ष का करने वालो समझो अहित ये मानव का,
      ज्यों-ज्यों चले कुल्हाड़ी,त्यों-त्यों अहित को हम बुलाते हैं ।

      लेखिका
      श्रीमती प्रभा पांडेय जी
      ” पुरनम “

      READ MORE POETRY BY PRABHA JI CLICK HERE

      DOWNLOAD OUR APP CLICK HERE

      ALSO READ  || ठंडा मीठा पानी ||

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,730FansLike
      80FollowersFollow
      718SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles