More
    35.1 C
    Delhi
    Tuesday, April 23, 2024
    More

      पंचक क्या है और क्या कर सकते हैं इस दौरान शुभ कार्य | जानिए पूरी जानकारी

      हिन्दू पंचांग अनुसार प्रत्येक माह में पांच ऐसे दिन आते हैं जिनका अलग ही महत्व होता है। प्रचलित मान्यता अनुसार पंचक में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है। प्रत्येक माह का पंचक अलग अलग होता है तो किसी माह में शुभ कार्य नहीं किया जाता है तो किसी माह में किया जाता है। 

      पंचक क्या है?

      ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अर्थात पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक’ कहा जाता है।

      अगर आधुनिक खगोल विज्ञान की दृष्टि से देखें तो 360 अंशों वाले भचक्र में पृथ्वी जब 300 अंश से 360 अंश के मध्य भ्रमण कर रही होती है तो उस अवधि में धरती पर चन्द्रमा का प्रभाव अत्यधिक होता है। उसी अवधि को पंचक काल कहते हैं।

      पंचक में नहीं करते हैं ये पांच कार्य :

      शास्त्रों में निम्नलिखित पांच कार्य ऐसे बताए गए है जिन्हें पंचक काल के दोरान नहीं किया जाना चाहिए। जैसे 1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना, 2. मकान पर छत डलवाना, 3. शव जलाना, 4. पलंग या चारपाई बनवाना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।

      ALSO READ  भगवान पार्श्वनाथ जयंती 2024 | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      यदि लकड़ी खरीदना अनिवार्य हो तो पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम का हवन कराएं। यदि मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करें। यदि पंचक काल में शव दाह करना अनिवार्य हो तो शव दाह करते समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी आवश्य जलाएं।

      इसी तरह यदि पंचक काल में पलंग या चारपाई लाना जरूरी हो तो पंचक काल की समाप्ति के पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करें। अंत में यह कि यदि पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल चढ़ाकर यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। ऐसा करने से पंचक दोष दूर हो जाता है।

      पंचक के प्रकार जानिए:

      1.रविवार को पड़ने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है।

      2.सोमवार को पड़ने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है।

      3.मंगलवार को पड़ने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है।

      4.शुक्रवार को पड़ने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है।

      5.शनिवार को पड़ने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। 

      6.इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में पड़ने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।

      पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव:

      1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।

      2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।

      3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।

      ALSO READ  होलिका दहन 6th या 7th मार्च 2023 कब है | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।

      5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,752FansLike
      80FollowersFollow
      720SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles