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    Wednesday, April 17, 2024
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      वर्ल्ड ईवी डे: टेरी और आईसीसीटी के विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मज़बूत चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है बेहद ज़रूरी

      विशेषज्ञों का मानना है कि देश में ईवी के उपयोग को बढ़ावा देने में मज़बूत चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बड़ी भूमिका निभा सकता है। वर्ल्ड ईवी डे के अवसर पर द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट (टेरी) और द इंटरनेशनल काउंसिल फॉर क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) के विशेषज्ञों ने 2024 तक दिल्ली में 18,000 नए स्टेशंस इंस्टॉल करने की दिल्ली सरकार की योजना की सराहना करते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को व्यापक स्तर पर अपनाए जाने को बढ़ावा देने के लिए अन्य राज्यों में भी ऐसी ही रणनीति अपनाई जाने की आवश्यकता है।

      दिल्ली और महाराष्ट्र कई अन्य शहरों व राज्यों के साथ चार्जिंग स्टेशंस की स्थापना में आगे चल रहे हैं। दिल्ली में अभी करीब 191 चार्जिंग स्टेशंस इंस्टॉल किए जा चुके हैं जबकि महाराष्ट्र में करीब 184 चार्जिंग स्टेशंस लगाए गए हैं। इनके अलावा, कई बैटरी स्वैपिंग स्टेशंस भी लगाए जा चुके हैं और निकट भविष्य में ऐसे कई अन्य स्टेशंस लगाए जाने की उम्मीद है। कुल मिलाकर ये पहल परिवहन के स्वच्छ तरीके अपनाने और भारत के लिए एक वहनीय एवं ऊर्जा सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में सही कदम हैं।

      टेरी के सीनियर विज़िटिंग फैलो श्री आईवी राव ने कहा :

      ‘फैसले लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने और निजी कंपनियों को ईवी से जुड़े कारोबार स्थापित करने में मदद करने के लिए एक डेडिकेटेड ईवी सेल का गठन करना शहरी व राज्य स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दर बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है। इसके अलावा, ग्राहकों व ईवी इकोसिस्टम के सपोर्ट के लिए डेडिकेटेड फंड्स रखना निकट भविष्य में काफी महत्वपूर्ण होगा।”

      ‘18,000 नए चार्जिंग स्टेशंस लगाने की दिल्ली सरकार की योजना बहुत प्रोत्साहित करने वाली है। इसका मतलब है कि प्रति वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 12 चार्जिंग स्टेशन होंगे या हर 3 वर्ग किलोमीटर की दूरी पर 4 चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध होंगे। यह आंकड़ा विभिन्न नीतिगत दस्तावेज़ों में सुझाए गए एक चार्जिंग स्टेशन प्रति 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की तुलना में बहुत अधिक है। आबादी को ध्यान में रखते हुए कई दस्तावेज़ों में प्रति 10 लाख आबादी 50 चार्जिंग स्टेशंस लगाने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, दिल्ली के मामले में यह आंकड़ा 550+ चार्जिंग स्टेशंस प्रति 10 लाख आबादी (शहर 3.2 करोड़ से अधिक की आबादी को ध्यान में रखते हुए) भी हो सकता है। इसका वास्तविक लक्ष्य चार्जिंग के लिए सुगम पहुंच उपलब्ध कराना होना चाहिए जैसी अभी पेट्रोल-डीज़ल स्टेशंस की मौजूदगी है।”

      भारत में चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियों को दूर करने के लिए बैटरी स्वैपिंग की व्यावहारिकता को लेकर श्री राव ने कहा, ”बैटरी स्वैपिंग टेक्नोलॉजी, बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का अप-टाइम बेहतर कर सकती है विशेष तौर पर परिवहन/कमर्शियल व गैर-परिवहन/यात्री वाहन दोनों श्रेणी के दोपहिया एवं तिपहिया वाहनों में। स्वैपिंग को व्यापक स्तर पर तभी लागू किया जा सकता है जब ईवी विनिर्माता और बैटरी आपूर्तिकर्ता बैटरी व फिक्सिंग मैकेनिज़्म के मानकीकरण पर सहमत हों जाए, जिसमें कुछ समय लगेगा।”

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      आईसीसीटी के इंडिया मैनेजिंग डायरेक्टर श्री अमित भट्ट ने कहा :

      ‘भारत में कार्बन उत्सर्जन में परिवहन सेक्टर की करीब 14% हिस्सेदारी है जिसमें से 90% सड़क परिवहन सेक्टर से होता है। परिवहन, देश में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा उत्सर्जन सेक्टर भी है। ऐसे में, परिवहन सेक्टर से उत्सर्जन घटाना विशेष तौर पर सड़क परिवहन से , 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने के देश के जलवायु लक्ष्य के लिए बहुत ज़रूरी है। आईसीसीटी की हालिया रिसर्च – लाइफ साइकल असेसमेंट ऑफ ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) एमिशंस फॉर पैसेंजर कार्स ऐंड टु-व्हीलर्स इन इंडिया- में खुलासा हुआ है कि इंटरनल कंबस्चन इंजन से डिकार्बनाइज़ेशन का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है। बैटरी, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ही ऐसी पावरट्रेन टेक्नोलॉजीज़ हैं जो कार्बन घटाने के काफी फायदे उपलब्ध कराती हैं। इस स्टडी में यह भी सामने आया कि सभी मामलों में नहीं तो अधिकतर मामलों में बैटरी इलेक्ट्रिक काम करेगी।”

      ‘ईवी को बढ़ावा देने के लिए मज़बूत चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण होगा। दिल्ली में 2024 तक 18,000 नए चार्जिंग स्टेशंस लगाने की योजना पर काम करने की दिल्ली सरकार की घोषणा इस दिशा में एक बेहतरीन कदम है। अन्य राज्यों द्वारा भी ऐसी रणनीतियां विकसित करने की ज़रूरत है। इसके अलावा, हाईवेज़ का इलेक्ट्रिफिकेशन करने से भी देश में ईवी वाहनों को अपनाने की दर बढ़ाने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर कहा जाए तो आज बीईवी से मिलने वाले जीएचजी एमिशन फायदों की लाइफ साइ​कल को देखा जाए तो व्यापक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए भविष्य में बिजली क्षेत्र में होने वाले सुधारों के लिए एक दशक का इंतज़ार नहीं किया जा सकता और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक साबित हो सकता है।”

      इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए वाहनों का इलेक्ट्रिफिकेशन ही एक तरीका है जिससे परिवहन सेक्टर के डिकार्बनाइज़ेशन के लिए निर्धारित समयावधि में सबसे व्यावहारिक व हासिल किए जाने वाले सॉल्यूशंस मिल सकते हैं जो भारत की वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धता को समयसीमा के अनुकूल हों।

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      एक वहनीय एवं आत्मनिर्भर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए इंटरनल कंबस्चन वाहनों को बाहर करना महत्वपूर्ण कदम होगा।

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