More
    33.1 C
    Delhi
    Tuesday, September 10, 2024
    More

      राम मंदिर में विज्ञान का चमत्कार, रामलला का हुआ भव्य ‘सूर्य तिलक’ | कैसे पहुंची किरणें | जानिए पूरी जानकारी | 2YoDo विशेष

      पूरे देश में रामनवमी की धूम है। अयोध्या राम मंदिर में आज के दिन विशेष व्यवस्था की गई है। दोपहर के समय राम लला की मूर्ति के माथे का सूर्य की किरण से अभिषेक किया गया। मंदिर प्रबंधन ने विज्ञान का इस्तेमाल कर 5.8 सेंटीमीटर प्रकाश की किरण के साथ रामलाल का ‘सूर्य तिलक’ किया है।

      इस मौके पर 10 भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम राम मंदिर में तैनात थी। दोपहर 12:00 से लगभग 3 से 3.5 मिनट तक दर्पण और लेंस का उपयोग करके सूर्य की रोशनी को रामलला की मूर्ति के माथे पर सटीक रूप से स्थापित किया गया।

      वैज्ञानिकों की टीम ने इसके लिए अथक प्रयास किया है। वैज्ञानिकों ने दर्पण और लेंस से युक्त एक उपकरण तैयार किया था। एक रिपोर्ट में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के वैज्ञानिक और निदेशक डॉक्टर प्रदीप कुमार रामचार्ला के हवाले से कहा कि ऑटोमैकेनिक सिस्टम के तहत इसे अंजाम दिया गया। 

      उन्होंने कहा ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम में चार दर्पण और चार लेंस होते हैं। जो पाइपिंग सिस्टम के अंदर फिट होते हैं। एक एपर्चर के साथ पूरा कर उपरी मंजिल पर रखा जाता है। दर्पण और लेंस के माध्यम से सूर्य की किरणों को गर्भ ग्रह की तरफ मोड़ा जा सके।

      उन्होंने बताया अंतिम लेंस और दर्पण पूर्व की ओर मुख किए हुए श्री राम के माथे पर सूर्य की किरणों को केंद्रित करते हैं। सूर्य की किरणों को उत्तर दिशा की ओर दूसरे दर्पण की ओर भेज कर प्रत्येक वर्ष रामनवमी के मौके पर सूर्य तिलक बनाया जाता है।

      ALSO READ  Demand for Digital Skills Ascending with Data Analytics witnessing over 450% increase : Quess Report

      पाइपिंग और अन्य हिस्से पीतल का उपयोग करके बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि दर्पण और लेंस की क्वालिटी भी काफी उच्च है, जिससे कि यह लंबे समय के लिए टिके पाइप के अंदर की सतह को काले पाउडर से रंगा गया है।

      जिसे की सूर्य का प्रकाश बिखरने नहीं पाए। सूर्य की गर्मी की तरंगों को मूर्ति के माथे पर पड़ने से रोकने के लिए एक इंफ्रारेड फिल्टर ग्लास का उपयोग किया जाता है।   

      इस टीम में सीबीआरआई, रुड़की और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान आईआईएपी बेंगलुरु के वैज्ञानिक भी शामिल है इस टीम ने सौर ट्रैकिंग के स्थापित सिद्धांतों का उपयोग करके मंदिर की तीसरी मंजिल से गर्भ ग्रह तक सूर्य की करने को सटीक संरेखण को व्यवस्थित किया।

      भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान से तकनीकी सहायता और बेंगलुरू स्थित कंपनी ऑप्टिका ने इस पूरी पक्रिया में मदद की है।

      Related Articles

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      Stay Connected

      18,829FansLike
      80FollowersFollow
      726SubscribersSubscribe
      - Advertisement -

      Latest Articles